सिरसा की राजनीति में उलटफेर से भाजपा को झटका:हार पर कार्यकर्ता टिशू से बोले, मंत्री बेदी को फोन कर बता दिया क्या, वीडियो

by Carbonmedia
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सिरसा की राजनीति में अचानक उलटफेर हो गया। सिरसा जिले के कालांवाली नगर पालिका चुनाव 2025 में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार महेश झोरड़ ने भाजपा प्रत्याशी सुनील गर्ग उर्फ ‘टीशू प्रधान’ को 1029 वोटों के बड़े अंतर से हराकर भाजपा को झटका दिया है। अकेले सिरसा में ही भाजपा की छोटी सरकार है, जबकि विधानसभा-लोकसभा सीट पर पूरी तरह पिछड़ गई। वहीं, भाजपा के उम्मीदवार टीशू प्रधान के मतगणना केंद्र के बाहर आते हुए की एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक कार्यकर्ता टीशू प्रधान को यह कह रहा है कि क्या मंत्री को फोन किया, बता दिया क्या, मंत्री बेदी को बता दिया क्या। इस पर टिशू कह रहे हैं कि कम ही वोटों का अंदर है। इसके बाद चुप्पी साधे नजर आए। समर्थक-कार्यकर्ता उसे बार-बार यहीं पूछते रहे। इस चुनाव में कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी का अहम रोल था, क्योंकि वह चुनाव प्रचार के लिए तीन से पांच दिन तक लगातार चुनाव प्रचार के लिए कालांवाली में ही रहे थे। लोगों से दिनरात कार्यक्रम में मिले और जनसमस्याएं सुनी। यहां के लोगों से घुलमिल गए थे और खुद वादा किया था कि वह विकास में कोई कमी नहीं रहने देंगे। यह भी कहा था कि आपने सासंद-विधायक कांग्रेस का बना दिया, वो कोई काम नहीं करवा सकते। केंद्र व राज्य में सरकार भाजपा की है। निकाय चुनाव में भी भाजपा को जीताएं। चुनाव स्थगित के बाद जीत का दावा कर रही थी ट्रिपल इंजन सरकार भाजपा चार महीने पहले हुए चुनाव स्थगित के बाद इस बार जीत का दावा कर रही थी और ट्रिपल इंजन सरकार (केंद्र, राज्य और नगर पालिका) का वादा कर चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन जनता ने इस दावे को नकारते हुए कांग्रेस पर भरोसा जताया। हाल ही में हुए छोटी सरकार के निकाय चुनाव के बाद यह पहला निकाय चुनाव था, जिसमें भाजपा को पहले ही हार हाथ लगी।जो मंत्रियों ने विकास करवाने के वादें किए थे, वो काम नहीं आए। दरअसल, डबवाली को जिला बनाने की मांग थी, वो मुद्दा भी शांत हाे गया था, क्योंकि संगठन का डबवाली अलग जिला बनाने पर लोगों को उम्मीद हो गई थी कि डबवाली अवश्य अलग जिला बनेगा। हाल ही में सीएम की रैली थी, वो भी लोगों का मन नहीं बदल सकीं। खासकर भाजपा की गुटबाजी ही चुनाव हारने का बड़ा कारण रहीं। बीजेपी की हार के मुख्य कारण: टिकट वितरण में गड़बड़ी: स्थानीय नेताओं की उपेक्षा और बाहरी दबाव में टिकट देने से नाराजगी फैली। विकास का नारा भारी पड़ा: जमीनी स्तर पर जनता को विकास का अनुभव नहीं हुआ। नशे का मुद्दा: कालांवाली में नशा एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिस पर भाजपा नाकाम दिखी। हलोपा का कांग्रेस को समर्थन: हलोपा की चुपचाप सैद्धांतिक एकजुटता कांग्रेस के पक्ष में गई। असंगठित भाजपा: पूरी चुनावी प्रक्रिया में भाजपा एकजुट नहीं दिखी। बागी उम्मीदवारों का प्रभाव: भाजपा के कई पूर्व नेता व पार्षद टिकट न मिलने से बगावत पर उतर आए। टिकट खरीद-फरोख्त के आरोप: आम जनता में यह धारणा बनी कि टिकट पैसों के बल पर बांटे गए। जिलाध्यक्ष की कमजोर पकड़: भाजपा जिलाध्यक्ष रेनू शर्मा की चुनावी रणनीति में भारी कमजोरी देखी गई। लोकल चेहरों की गैर-मौजूदगी: स्थानीय नेताओं की कमी भाजपा के प्रचार अभियान को कमजोर कर गई। आईएनएलडी और AAP का कमजोर प्रदर्शन: यह पार्टियां कांग्रेस को बैकफुट पर नहीं ला सके। कांग्रेस की जीत के मुख्य कारण सटीक टिकट वितरण: महेश झोरड़ को टिकट देना कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। महेश झोरड़ की छवि: मधुर स्वभाव, शहर में अच्छी पकड़ और सभी वर्गों में स्वीकार्यता उनकी जीत की वजह बनी। लोकल मुद्दों की बात: कांग्रेस ने नशा, पानी, सीवरेज जैसी वास्तविक समस्याओं पर बात की। पार्टी एकजुटता: कांग्रेस के लोकल एमएलए, सांसद और नेता सभी एक मंच पर नजर आए। अक्टूबर 2026 में हुए नगर पालिका चुनाव अक्टूबर 2016 में कालांवाली-सिरसा नगर पालिका के चुनाव हुए थे। उसमें सिरसा से शीला सहगल और कालांवाली से मुनीष जिंदल ने चुनाव जीता था। दोनों जगह चुनाव 2021 में होने थे, पर नहीं हुए। सिरसा में चार माह पहले 12 मार्च 2025 काे चुनाव हो गए, पर कालांवाली में नहीं हुए। इससे पहले भाजपा से मुनीष जिंदल चेयरमैन थे। उनका कार्याकाल पूरा होने के बाद सरकार के अंडर ही नगरपालिका का काम था। चार माह पहले निकाय चुनाव के साथ भी चुनाव नहीं करवाए। कांग्रेस का कहना है कि सरकार अपनी मर्जी चला रही थी। अब 9 सालों के बाद चुनाव करवाए हैं। इसमें कांग्रेस को जीत मिली। जनता का फैसला सर्वोपरि : भाजपा प्रधान डबवाली से भाजपा प्रधान रेणू शर्मा ने बताया कि यह जनता का फैसला है। इस पर कुछ नहीं कहना। हमने अपना चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ा है। जनता का फैसला सर्वोपरि है। इन नेताओं को टिकट नहीं मिली तो पाशा बदला भाजपा से टिकट मांग रहे चरण दास चन्नी को टिकट नहीं मिली थी और हलोपा नेता प्रदीप को भी टिकट नहीं मिली थी। यह दोनों ही नाराज होकर बाकी नेताओं को भी अपने साथ कर लिया। उनकी नाराजगी थी कि सुनील टिशु प्रधान को एक दिन पहले कांग्रेस ज्वाइन करवा कर टिकट देकर आवेदन करवा दिया था। स्थानीय नेताओं में यह भी नाराजगी थी कि जो इतने लंबे समय से पार्टी के लिए प्रयास कर रहे थे, उनका टिकट नहीं मिली।

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