करनाल के नीलोखेड़ी खंड के गांव सिद्धपुर में सरपंच द्वारा जोहड़ की जमीन पर अवैध रास्ता निकालने के मामले में एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने दूसरी बार बीडीपीओ कार्यालय पहुंचकर मौजूदा सरपंच मुकेश भारती के खिलाफ शिकायत दी है। ग्रामीणों का आरोप है कि पहले 17 जून को भी शिकायत दी गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 28 जून को दोपहर के समय फिर से मनरेगा मजदूरों से मिट्टी ट्रालियों के माध्यम से गिरवाई गई और जोहड़ के रास्ते पर निर्माण कार्य कराया गया। मनरेगा मजदूरों का गलत इस्तेमाल, घर के पास गिरवाई जा रही मिट्टी
अशोक कुमार, रामकुमार, रणधीर, अजय कुमार, अनिल कुमार, राजेंद्र कुमार समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच द्वारा मनरेगा मजदूरों का दुरुपयोग किया जा रहा है। मजदूरों से सरपंच अपने निजी लाभ के लिए काम करवा रहा है। मिट्टी ट्राली से लाकर जोहड़ की भूमि पर बनाए गए अवैध रास्ते पर गिरवाई जा रही है, ताकि सरपंच के घर तक पहुंच बनाई जा सके। ग्रामीणों ने इस पूरी गतिविधि की फोटो भी खींची है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे गांव में माहौल खराब हो सकता है और किसी भी समय झगड़े की स्थिति बन सकती है। पहले भी दी थी शिकायत, लेकिन नहीं हुई जांच
17 जून को गांव के ही सतप्रकाश ने बीडीपीओ को शिकायत देकर बताया था कि यह जोहड़ गोगामाड़ी के पास है, जिसमें गांव के कई घरों का गंदा पानी आता है। अब सरपंच द्वारा किए गए अवैध रास्ते के कारण जोहड़ दो हिस्सों में बंट गया है और उसका आकार छोटा हो गया है। इससे गांव का गंदा पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में जा सकता है। जिससे गांव में गंदगी और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। मछली पालन वाले जोहड़ों के ठेके बिना प्रक्रिया दिए गए
शिकायत में ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि गांव में परवा पट्टी और पछवा पट्टी में स्थित जोहड़ मछली पालन के लिए आरक्षित हैं। लेकिन इनके ठेके देने से पहले कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई और न ही गांव वालों को कोई जानकारी दी गई। ठेके किसे और कितनी राशि में दिए गए, यह भी नहीं बताया गया। इससे साफ है कि प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता नहीं बरती गई। जमीनों पर कब्जा करवाने की भी आशंका जताई
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि गांव की सार्वजनिक जमीन और जोहड़ों के चारों ओर जानबूझकर ज्यादा जगह छोड़ी गई है, ताकि बाद में उन पर निजी तौर पर कब्जा दिलाया जा सके। यह सभी काम मौजूदा सरपंच द्वारा बिना किसी आधिकारिक प्रक्रिया के निजी हित में किए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि जोहड़ नंबर 63 को फिर से ठीक करवाया जाए, अवैध रास्ता हटाया जाए और मछली पालन के जोहड़ों की बोली व शर्तों की जानकारी सार्वजनिक की जाए। सरपंच नहीं उठा रहे फोन, पहले बता चुके हैं आरोप बेबुनियाद
पहली शिकायत के समय सरपंच मुकेश भारती ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, लेकिन दूसरी शिकायत के बाद जब उन्हें कॉल किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसी तरह बीडीपीओ आशुतोष से भी जब इस मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किया। ग्रामीण बोले- पारदर्शिता जरूरी, वरना करेंगे बड़ा विरोध
ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन जल्द इस मामले की जांच नहीं करता और अवैध रास्ता व कब्जे नहीं हटाए जाते, तो आगामी कदम उठाएग जाएंगे। वे पीछे हटने वाले नहीं है।
करनाल में सरपंच द्वारा जमीन पर कब्जा करने का मामला:ग्रामीणों ने फिर सौंपी शिकायत, बोले- पहली शिकायत पर भी नहीं हुई कार्रवाई
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