Madhya Pradesh News: इंदौर देवास हाईवे पर हाल ही में हुए भीषण जाम और उसमें फंसकर दो लोगों की मौत के बाद अब यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. इस पर सुनवाई के दौरान NHAI के अधिवक्ता का अजीब और चौंकाने वाला बयान भी सामने आया है.दो दिन पहले इंदौर-देवास हाईवे पर लगे करीब 40 घंटे लंबे ट्रैफिक जाम का मामला अब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट पहुंच गया है. सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने संबंधित विभागों और अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
यह याचिका देवास निवासी आनंद अधिकारी ने सीनियर एडवोकेट गिरीश पटवर्धन और कीर्ति पटवर्धन के माध्यम से दायर की है. याचिका में कहा गया है कि इतने लंबे समय तक लगे जाम ने हजारों लोगों को परेशान किया, बीमार लोग, विद्यार्थी और जरूरी कामों से जा रहे नागरिक बुरी तरह फंसे रहे.
कोर्ट ने NHAI और एजेंसियां से लापरवाही पर मांगा जवाब
याचिका में कोर्ट से यह मांग की गई है कि इस मामले की जांच कराई जाए और जिनकी लापरवाही से यह हालात बने, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही भविष्य में इस तरह की समस्या न हो, इसके लिए स्थायी समाधान भी कोर्ट से मांगा गया है.वही सुनवाई के दौरान NHAI की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि “लोग हाईवे पर इतनी जल्दी क्यों निकलते हैं?” यह सवाल उन्होंने कोर्ट के समक्ष रखा, मानो जाम और मौत की ज़िम्मेदारी आम जनता की हो. यह टिप्पणी मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस अमरनाथ द्विवेदी की खंडपीठ के सामने हुई.
जहां वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश पटवर्धन, याचिकाकर्ता आनंद अधिकारी की ओर से जनहित याचिका पर बहस कर रहे थे. NHAI की यह दलील न सिर्फ विचलित करने वाली है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि जब आम जनता की जान हाईवे की अव्यवस्था में जा रही है, तब क्या जिम्मेदार एजेंसियां खुद की जिम्मेदारी से बच रही हैं?
हालांकि, हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए अब संबंधित एजेंसियों से जवाब मांगा है. आने वाले दिनों में इस पर अगली सुनवाई में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है.
इंदौर-देवास हाईवे पर 40 घंटे के जाम का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, अधिकारियों को जारी हुआ नोटिस
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