भास्कर न्यूज | अमृतसर हिंदू सनातन धर्म में चार प्रकार के आश्रम बताए गए हैं। ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यासाश्रम। वैसे तो आज के समय में पूर्ण रूप से इस परंपरा का वहन नहीं किया जा रहा है, फिर भी इनकी झलक कहीं न कहीं देखने को मिल ही जाती है। चौक पासियां स्थित अध्यात्म केंद्र प्राचीन मंदिर श्री जय कृष्णिया संत सन्यासी परंपरा का मुख्य केंद्र बिंदु है। जहां पर संत समागम कार्यक्रम सम्पन्न किए जाते हैं। मंदिर के संचालक दर्शनाचार्य सागर मुनि शास्त्री ने बताया कि संत परंपरा की मुख्य विभूति तपोनिष्ठ प्रेमा बाई आराध्य ने मंदिर में स्नेह भेंट प्रदान की और साथ आई संगत को दिव्य देवपूजा नमस्कार करवाई। संबोधित करते शास्त्री जी ने कहा कि संत जन मनुष्य जीवन के आदर्श होते हैं। जिन्होंने अपने घर परिवार का त्याग करके अपने आप को धर्म और समाज के प्रति समर्पित किया हुआ है। यह संत जन समाज की आधारशिला होते हैं। इसके पश्चात सत्संग, भेट काल विधि और भोजन विधि को संपन्न किया गया। जय कृष्णी पंथ की मुख्य विधि ‘एकत्र खानपान’ को संपन्न किया गया। इसमें रानी बाई, साधा बाई आराध्य, मीरा बाई आराध्य, महात्मा संस्कार मुनि आराध्य, कीमती लाल गुलाटी आदि भक्त और संत मौजूद रहे।
संतजन मनुष्य जीवन के आदर्श : मुनि
3