UP News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में समाजवादी पार्टी के अस्थाई जिला कार्यालय को प्रशासन द्वारा खाली कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा को बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने सपा की याचिका को खारिज करते हुए मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और पार्टी को सिविल कोर्ट में अपनी पैरवी करने का निर्देश दिया. जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस जयंत बनर्जी की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया.
दरअसल पीलीभीत में समाजवादी पार्टी का अस्थाई जिला कार्यालय 2005 से नगर पालिका परिषद के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के कार्यालय में चल रहा था. 12 नवंबर 2020 को नगर पालिका परिषद ने इस कार्यालय के लिए किए गए आवंटन को निरस्त कर दिया था. इसके बावजूद सपा ने कार्यालय को खाली नहीं किया. 18 जून 2025 को प्रशासन ने भारी पुलिस बल के साथ कार्यालय को खाली कराकर ताला लगा दिया. इस कार्रवाई के खिलाफ सपा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें नगर पालिका की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी.
हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सपा की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि यह मामला सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है. कोर्ट ने कहा कि समाजवादी पार्टी को सिविल कोर्ट में अपनी पैरवी करनी चाहिए. हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. गौरतलब है कि पीलीभीत के सिविल जज की कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही है.
पहले भी हाईकोर्ट पहुंचा था मामला
2020 में जब नगर पालिका ने कार्यालय के आवंटन को निरस्त किया था, तब भी सपा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उस समय कोर्ट ने सपा से सवाल किया था कि वह इस मामले को जिला कोर्ट में क्यों नहीं ले गई. इसके बाद सपा ने अपनी याचिका वापस ले ली थी. इस बार भी सपा ने 16 जून 2025 को नगर पालिका की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल देने से इनकार करते हुए पार्टी को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था.
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नगर पालिका और सपा के बीच तनातनी
18 जून को जब प्रशासन ने सपा कार्यालय को खाली कराया, तो मौके पर 200 पुलिस जवानों और 50 से अधिक अधिकारियों को तैनात किया गया था. ड्रोन से निगरानी की गई और सपा कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति भी बनी. सपा ने इस कार्रवाई को सत्ता का दुरुपयोग करार देते हुए बीजेपी पर राजनीतिक विद्वेष का आरोप लगाया. सपा के मीडिया सेल ने इसे तानाशाही बताते हुए कहा कि यह बीजेपी की सपा से डर की वजह से की गई कार्रवाई है.
नगर पालिका परिषद की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार दीक्षित ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सपा ने 2020 में आवंटन निरस्त होने के बाद भी कार्यालय खाली नहीं किया, जो नियमों का उल्लंघन है.
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