बरवाला में सड़कों की बदहाली:सीवरेज पाइप बिछाने के 5 साल बाद भी टूटा रोड, स्कूली बच्चों को परेशानी

by Carbonmedia
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हिसार जिले के बरवाला शहर में वर्षों से अधूरी पड़ी सड़क निर्माण की समस्या अब लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है। शहर के नए बस स्टैंड के सामने स्थित न्यू ककड़ मार्केट, सरस्वती कॉलोनी, मॉडल टाउन और ताज कॉलोनी सहित आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रों की गलियों की हालत बेहद दयनीय बनी हुई है। पांच साल पहले इन क्षेत्रों में सीवरेज पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन उसके बाद आज तक सड़कों का पुनर्निर्माण नहीं किया गया। बारिश के मौसम में हालत बदतर बरसात के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो गई है। सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढों में पानी भर जाने से पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। स्थानीय निवासियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश अध्यक्ष व दयानंद पब्लिक स्कूल बरवाला के डायरेक्टर सत्यवान कुंडू ने इस गंभीर समस्या पर नाराजगी जताते हुए प्रशासन को आड़े हाथों लिया। संस्थानों तक जाना बेहद मुश्किल सत्यवान कुंडू ने बताया कि न्यू ककड़ मार्केट व मॉडल टाउन इलाके में चार लाइब्रेरी, पांच अस्पताल, आधा दर्जन एजुकेशन एकेडमी, एक वृद्धाश्रम, एक फाइनेंस कंपनी, दो जिम, कंप्यूटर सेंटर और सरकार से मान्यता प्राप्त 12वीं तक का स्कूल स्थित है, जहां रोजाना हजारों बच्चों व नागरिकों की आवाजाही होती है, लेकिन सड़कों की खस्ता हालत के कारण सभी संस्थानों तक पहुंचना किसी जंग जीतने से कम नहीं रहा। जनप्रतिनिधियों से कई बार लगाई गुहार उन्होंने बताया कि कई बार इस समस्या को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा चुकी है। पूर्व विधायक जोगीराम सिहाग, डीसी हिसार, और एसडीएम बरवाला से लेकर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं हुआ है। हाल ही में बरवाला के वर्तमान विधायक व कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा को भी मुद्दे को लेकर मांग पत्र सौंपा गया है और अब क्षेत्रवासियों को मंत्री से ही समाधान की उम्मीद है। बच्चों की करनी पड़ती है छुट्टी सत्यवान कुंडू ने बताया कि बारिश के मौसम में स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि स्कूल बसें अंदर नहीं आ पाती और कई बार बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि क्षेत्र की सड़कों का तत्काल निर्माण करवाया जाए और जब तक सड़क नहीं बनती, तब तक गड्ढों को मिट्टी से भरवाकर अस्थायी राहत दी जाए। आमजन को कम से कम आवागमन में परेशानी न हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल विकास की अनदेखी नहीं, बल्कि जनहित की उपेक्षा है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़कों की मांग को लेकर जन आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।

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