कई लोगों के पैरों की स्किन इतनी नाजुक हो जाती है कि उंगली रखते ही वह फोम की तरह अंदर की ओर धंसने लगती है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए. आइए डॉक्टरों से बातचीत के आधार पर आपको बताते हैं कि यह कितनी खतरनाक बीमारी का लक्षण है और इसे नजरअंदाज क्यों नहीं करना चाहिए?
क्यों हो जाती है फोम जैसी स्किन?
नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के स्किन एक्सपर्ट डॉ. रमेश शर्मा ने बताया कि पैर की स्किन का फोम की तरह धंसना असामान्य लक्षण है, जिसमें त्वचा अपनी लोच (elasticity) खो देती है और दबाने पर गड्ढा बन जाता है. यह गड्ढा कुछ देर तक बना रहता है. इस कंडीशन को आमतौर पर एडिमा (edema) या लिम्फेडेमा (lymphedema) कहा जाता है, लेकिन इससे अन्य गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट डिजीज, किडनी डिजीज या स्किन संबंधित दिक्कतों का भी सिग्नल मिलता है. इसके साथ पैरों में सूजन, भारीपन या दर्द जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं. अगर ये लक्षण बार-बार दिखें या लंबे समय तक बने रहें तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए.
इन बीमारियों का सिग्नल होता है स्किन का धंसना
एडिमा (Edema): एडिमा तब होता है, जब शरीर के टिशूज में एक्स्ट्रा फ्लूड जमा हो जाता है, जिससे सूजन आती है. यह सूजन दबाने पर गड्ढा बनाती है, जिसे पिटिंग एडिमा कहा जाता है. इसका कनेक्शन हार्ट, किडनी या लिवर की दिक्कतों से होता है. डॉ. रमेश शर्मा के मुताबिक, पिटिंग एडिमा से हार्ट फेल्योर, क्रॉनिक किडनी डिजीज या लिवर सिरोसिस का पता चलता है. अगर पैर की त्वचा दबाने पर 2-3 सेकंड तक गड्ढा बना रहता है तो यह गंभीर संकेत है. मरीज को तुरंत ब्लड टेस्ट और इमेजिंग स्टडीज करानी चाहिए.
लिम्फेडेमा (Lymphedema): लिम्फेडेमा तब होता है, जब लिम्फैटिक सिस्टम ठीक से काम नहीं करता. इससे लिम्फ फ्लूड पैरों में जमा हो जाता है. यह स्थिति कैंसर के इलाज, सर्जरी या जन्मजात कारणों से हो सकती है. लिम्फेडेमा में स्किन मोटी और धंसी हुई हो सकती है. लिम्फेडेमा में स्किन फोम जैसी लग सकती है, क्योंकि लिम्फ फ्लूड स्किन के नीचे जमा हो जाता है. यह आमतौर पर एक पैर में ज्यादा होता है. अगर समय पर इलाज न हो तो यह परमानेंट डैमेज का कारण बन सकता है.
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis – DVT): डीवीटी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें पैरों की गहरी नसों में खून का थक्का बन जाता है. इसके लक्षणों में सूजन, दर्द और त्वचा का धंसना शामिल हो सकता है. अगर थक्का फेफड़ों तक पहुंच जाए तो यह जानलेवा हो सकता है. यह कंडीशन उन लोगों में कॉमन है, जो काफी समय तक बैठे रहते हैं. ऐसे लोगों को तुरंत अल्ट्रासाउंड और ब्लड थिनर की जरूरत पड़ सकती है.
त्वचा संबंधी समस्याएं: कुछ स्किन डिजीज जैसे सोरायसिस या एथलीट्स फुट से स्किन मोटी, ड्राई और फोम जैसी हो सकती है. सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो स्किन की कोशिकाओं के टर्नओवर को बढ़ाती है, जिससे पैरों पर परतदार और धंसी हुई स्किन हो सकती है.
पोषक तत्वों की कमी: विटामिन बी12, फोलेट या आयरन की कमी भी स्किन और टिशूज की संरचना को प्रभावित कर सकती है. यह कमी त्वचा को कमजोर और धंसी हुई बना सकती है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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