खुशी में डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है तो दुख में क्या होता है?

by Carbonmedia
()

Hormones Released in Sadness: कभी सोचा है कि जब आप किसी अच्छी खबर को सुनकर मुस्कुराने लगते हैं या जब किसी अपने से बिछड़ते हैं, तो आंखों से आंसू बहने लगते हैं? हमारे शरीर की यह प्रतिक्रिया सिर्फ भावनात्मक नहीं होती, बल्कि इसके पीछे हमारे दिमाग में सक्रिय होने वाले हार्मोन्स होते हैं. जैसे खुशी के समय डोपामाइन हार्मोन्स का रिलीज़ होना हमें खुशी की अनुभूति कराता है, वैसे ही दुख के समय कुछ ऐसे हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जो हमारे मूड, शरीर और व्यवहार पर गहरा असर डालते हैं. सवाल यह उठता है कि, जब खुशी में डोपामाइन रिलीज़ होता है, तो दुख में क्या होता है? आइए जानते हैं वो हार्मोन, जो दुख, तनाव और उदासी के समय हमारे शरीर में एक्टिव हो जाते हैं और उनका हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है. 
ये भी पढ़े- ये पांच काम करने से आपको कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक, तुरंत कर लीजिए नोट
दुख में सक्रिय होने वाला हार्मोन 
जब हम मानसिक तनाव, चिंता या दुःख में होते हैं, तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है. इसे “स्ट्रेस हार्मोन” कहा जाता है. कोर्टिसोल शरीर को अलर्ट रखता है, लेकिन इसकी अधिकता से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, नींद खराब होती है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. 
‘एड्रेनालिन’ भी बढ़ाता है बेचैनी
दुख या डर की स्थिति में एड्रेनालिन हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है. यह हार्मोन शरीर को “फाइट या फ्लाइट” मोड में डाल देता है. जिससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है, पसीना आने लगता है और बेचैनी महसूस होती है. लगातार ऐसा रहना मानसिक और शारीरिक थकावट बढ़ा सकता है. 
सेरोटोनिन का गिरता स्तर बनाता है उदास
सेरोटोनिन एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है जो मूड को संतुलित रखता है. जब इसका स्तर कम हो जाता है, तो व्यक्ति अधिक उदास और नेगेटिव महसूस करने लगता है. यही कारण है कि लंबे समय तक दुखी रहने वाले लोगों में डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है. 
उदासी को समझना जरूरी है 
दुख का आना स्वाभाविक है, लेकिन उसमें अटक जाना नुकसानदेह हो सकता है. ध्यान, योग, अच्छे खानपान, पर्याप्त नींद और अपनों के साथ समय बिताकर आप इन हार्मोनल प्रभावों को संतुलित कर सकते हैं. 
हमारी भावनाओं के पीछे हार्मोन का खेल चलता रहता है. खुशी में डोपामाइन हमें उड़ने का अहसास देता है, तो दुख में कोर्टिसोल और एड्रेनालिन हमें सतर्क करते हैं. लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि हम अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें, ताकि हार्मोन हमारे जीवन को नियंत्रित न करें, बल्कि हम अपने हार्मोन्स को समझदारी से संभाल सकें. 
ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment