UP News: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने संविधान में सेक्युलर शब्द पर जारी बहस के बीच पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह शब्द मूलरूप से संविधान में था ही नहीं.
उन्होंने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष शब्द मूल रूप से संविधान में नहीं था, इसे बाद में जोड़ा गया. इसलिए यह भारतीय संविधान की प्रकृति से मेल नहीं खाता और यह मुद्दा बार-बार उठाया जाता है. धर्म का मतलब है सही और गलत के बारे में सोचना और सही को अपनाना और गलत को अस्वीकार करना.’
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शंकराचार्य ने कहा ‘धर्मनिरपेक्ष बनने का मतलब है कि हमें सही या गलत से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसा किसी के जीवन में नहीं हो सकता. इसलिए यह शब्द भी सही नहीं है.’
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