हिसार की आमटी झील में गंदगी दिखी:परिसर में भैंसे बंधी, दीवार पर रखे उपले, इसी में डूबी थी राजा की बेटी

by Carbonmedia
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हिसार के हांसी की आमटी झील के आस-पास गंदगी का अंबार जमा हो गया है। एक समय यह झील हांसीवासियों के लिए सैर-सपाटे और सुकून का ठिकाना हुआ करती थी, लेकिन अब यहां की गंदगी फैली है। मुख्य गेट की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि लोग वहां से गुजरने से भी कतराते हैं। स्थानीय लोगों ने झील परिसर को अब पशुओं को बांधने का स्थान बना लिया है। चारों ओर गोबर के ढेर लगे हुए हैं। झील की दीवार पर रखे उपले रखे मिले। झील की साफ-सफाई और देखरेख के नाम पर नगर परिषद या किसी भी जिम्मेदार विभाग की कोई सक्रियता नहीं नजर आती। उद्घाटन हुआ था शान से, अब शून्य में तब्दील
25 जनवरी 2004 में तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने आमटी झील का भव्य उद्घाटन किया था। शुरुआती सालों में यहां हरियाली, बेंच, लाइटिंग और नौकायन की व्यवस्था ने लोगों को खूब आकर्षित किया था। लेकिन आज वह सारी रौनक गायब हो चुकी है। पूर्व मंत्री सुभाष गोयल ने कहा कि सरकार और प्रशासन की नाकामी है जो आज आमटी झील की यह हालत है। उद्घाटन के बाद यह झील लोगों के आकर्षण का केंद्र थी। आवारा पशुओं और सड़कों के निर्माण का कार्य भी उसी समय करवाया गया था। अब विकास के नाम पर सिर्फ बातें बकाया है। मार्च 2023 में विधायक विनोद भयाना ने तोड़ा था सौंदर्यकरण और पानी निकासी के नाले का उद्घाटन किया था। मगर इसके बावजूद भी स्थिति में सुधार होने की बजाय और बिगड़ी हैं। एसडीएम बोले- एक महीने का समय दो
इस बारे में हांसी के एसडीएम राजेश खोथ से बात की गई तो उनका कहना था कि एसपी से मिलकर वह यहां का माहौल सुधारने की कोशिश करेंगे। साथ ही कचरा और हरियाली पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। जिन लोगों ने पशु यहां बांधे हैं उन्हें भी समझाया जा रहा है। एक महीने के अंदर आमटी झील की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी। आमटी झील की वर्तमान स्थिति सिर्फ प्रशासन की अनदेखी ही नहीं, बल्कि हांसी के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर के प्रति उपेक्षा का स्पष्ट प्रमाण है। अगर समय रहते इसे संवारने के प्रयास नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियां इसे सिर्फ तस्वीरों में ही देख सकेंगी। आमटी झील का इतिहास
आमटी झील का इतिहास भी काफी पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार बताया जाता है कि यह आमटी झील पहले एक तालाब के रूप में थी। तालाब के पास एक प्राचीन हनुमान मंदिर भी है। इतिहासकारों के अनुसार हांसी में 1038 ई. में यहां पर राजा श्रीपाल का शासन था। तब तुर्क सेना ने यहां हमला किया और राजा श्रीपाल के परिवार को मौत के घाट उतार दिया। राजा की नौजवान बेटी अमृती ने सरोवर में कूदकर अपनी जान दे दी थी। तब से इसे अमृती तालाब कहा जाने लगा। समय बदलता गया और इसे आमटी झील के नामा से जाना जाने लगा।

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