साइबर ठगों ने पकड़ में आने से बचने के लिए नई तरकीब ढूंढ निकाली है। जिससे साइबर पुलिस उन्हें नहीं ट्रैस कर पाती। साइबर ठगों ने ऐसा तरीका अपनाया है कि जो पुलिस तो छोड़िए, आरबीआई की ट्रैसिंग से भी बाहर कर देता है। रेवाड़ी में पकड़े गए साइबर ठगों ने बताया कि ठगी के कुछ घंटों में जब पीड़ित 1930 डॉयल कर शिकायत दर्ज करवा देता था तो पुलिस तुरंत रकम ट्रांसफर होने वाले खातों पर होल्ड लगवा देती थी। साइबर ठगों का अमाउंट होल्ड होने से बड़ा नुकसान ह रहा था। इसी का तोड़ साइबर ठगों ने ढूंढ निकाला है। साइबर ठग अब बड़ी अमाउंट ट्रांसफर होते ही उसे 500-500 रुपए के ट्रांजेक्शन से कई खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। पुलिस जब तक होल्ड लगवाती है, तब तक वो खाता खाली मिलती है। जिन खातों में 500 रुपए की ट्रांजेक्शन होती है, उन पर होल्ड इसलिए नहीं लग पाता क्योंकि 500 रुपए से कम के ट्रांजेक्शन काे आरबीआई मॉनिटर नहीं करता है। जिसके चलते पुलिस चाहकर भी साइबर ठगों से पैसे रिकवर करने में नाकाम हो जाती है। क्रीड ऐप यूज कर रहे ठग साइबर ठग क्रेडिट कार्ड से ठगी के लिए क्रीड ऐप का यूज कर रहे हैं। ऐप के जरिए क्रेडिट कार्ड से बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं। जिसके लिए सिर्फ एक ओटीपी की जरूरत होती है। वो साइबर ठग क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर डिटेल के साथ ले लेते हैं और ठगी को अंजाम दे देते हैं। कैसे होते हैं ऐप से पैसे ट्रांसफर क्रीड ऐप के जरिए क्रेडिट कार्ड से 3 लाख रुपए तक बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो सकते हैं। क्रीड ऐप में पैसे ट्रांसफर का ऑप्शन दिया गया है। जिसमें पहले आपको बैंक सेलेक्ट करना होता है, जिसमें आपको अमाउंट ट्रांसफर करनी है। उसके बाद अमाउंट भरी जाएगी और क्रेडिट कार्ड की डिटेल मांगी जाएगी। डिटेल सबमिट होते ही एक ओटी रजिस्टर्ड नंबर पर आएगा। ओटीपी दर्ज करते ही पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। ठगी के 4 किरदार, कैसे चलाते थे फर्जी काॅल सेंटर 1. मास्टरमाइंड अजीत मांझी कॉल सेंटर में काम कर चुका है। बिहार से ही उसने ग्रेजुएट किया है। वॉयस चेंजर से आवाज बदल लड़की की आवाज में बात करता था। लोगों के पास कॉल कर उनसे क्रेडिट कार्ड की डिटेल लेता था। जो आगे विकास और संदीप को उपलब्ध करवाता था। 2. मास्टरमाइंड अजीत मांझी का साला विकास 12वीं पास है, जो अकाउंट मैनेजमेंट का काम करता था। किराए पर लिए हुए अकाउंट में जो रकम आती थी, उसे कमीशन देकर पैसे अपने खातों में ट्रांसफर कर लेता था। हर अकाउंट होल्डर को ठगी का 10 से प्रतिशत चार्ज दिया जाता था। 3. दिल्ली के मोहन गार्डन सैनिक विहार निवासी संदीप ग्रेजुएट है, जो क्रेडिट कार्ड की डिटेल मिलते ही एक ऐप में पर डालता था, उसी ऐप के जरिए लोगों के खातों से पैसे ट्रांसफर कर लेता था। जिन लोगों के साथ ठगी की जानी थी, उनके बैंक खाते और मोबाइल नंबर की डिटेल जुटाने का काम करता था। 4. दिल्ली विकास नगर निवासी संजय भी ग्रेजुएट है, वह कार्ड की फ्रेंचाइजी में काम करता था। संजय क्रेडिट कार्ड का एक्सपर्ट है। क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने में इन लोगों की सहायता करता था। संजय अजित के साथ मिलकर ठगी के शिकार लोगों को कॉलिंग करता था।
साइबर ठगी: नई तरकीब, 500 रुपए ट्रांजेक्शन ट्रेसिंग से बाहर:क्रीड ऐप के जरिए क्रेडिट कार्ड खाली, लिमिट बढ़ाने के नाम पर पूछी जाती है डिटेल
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