हरियाणा ग्रुप-सी संशोधित रिजल्ट केस में आज सुनवाई:14 जून को जारी हुआ; HC ने रोक लगा दी, 781 की नौकरी चली गई, इसलिए हाईकोर्ट पहुंचे

by Carbonmedia
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हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने 14 जून, 2025 को ग्रुप-सी पदों का जो परिणाम संशोधित किया था, उस परिणाम पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पिछड़े वर्ग श्रेणी के प्रमाण पत्रों के मामले में हाईकोर्ट के एक फैसले के आधार पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने यह परिणाम संशोधित किया था। इससे चयनित और नियुक्त उम्मीदवारों में से जिनकी कैटेगरी बदल गई थी या जो मेरिट सूची से बाहर हो गए थे, उनमें से कुछ ने याचिका दायर कर 14 जून, 2025 के संशोधित परिणाम पर रोक लगाने का आग्रह किया था। हाईकोर्ट ने इस परिणाम पर रोक लगाते हुए इस मामले की सुनवाई एचपीएससी की तरफ से दायर अपील के साथ करने का आदेश दिया है, इसलिए इन याचिकाओं और एचपीएससी मामले में अब 7 जुलाई यानी आज सुनवाई होगी। 14 जून को जारी हुआ था संशोधित रिजल्ट एचएसएससी ने ग्रुप सी पदों के लिए पिछड़े वगे श्रेणी के प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं किए थे, जो कट ऑफ डेट के बाद जारी हुए थे। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने एचएसएससी का यह फैसला रद्द कर दिया था। इस फैसले के आधार पर एचएसएससी ने 14 जून, 2025 को संशोधित परिणाम जारी कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और जस्टिस संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने संशोधित परिणाम पर रोक लगाते हुए याचिकाओं को एचपीएससी की तरफ से दायर अपीलों के साथ सुनवाई का आदेश जारी कर दिया। संशोधित रिजल्ट में 781 की चली गई नौकरी संशोधित परिणाम में करीब 1699 से ज्यादा नए अभ्यर्थियों का चयन हुआ है और 781 नौकरी पा चुके लोग अब बाहर हो गए हैं। अब इन लोगों की नौकरी पर खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा कई अभ्यर्थियों की कैटेगिरी भी बदल गई है। फाइनल परिणाम आयोग की वेबसाइट पर शनिवार सुबह चार बजे अपलोड किया गया। 2024 में युवाओं ने ये दिया तर्क 2024 अक्टूबर में ग्रुप सी का परिणाम घोषित किया गया था। इस परिणाम को कई अभ्यार्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसमें अधिकतर वे अभ्यर्थी थे, जिनके आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। दरअसल, भर्ती विज्ञापन में एक अप्रैल 2023 से पहले के पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्रों को अवैध मान लिया गया था। इस पर कई युवा हाईकोर्ट पहुंचे और परिणाम को चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हरियाणा सरकार के पास परिवार पहचान पत्र (PPP) का पूरा डेटा मौजूद है। उससे उनकी जाति की पुष्टि आसानी से की जा सकती थी, लेकिन सरकार व आयोग ने ऐसा न करके उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी, जो गलत है।

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