Bhaum Pradosh Vrat 2025 Muhurat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की तिथि खास महत्व रखती है. हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. अलग-अलग दिन में पड़ने के कारण इसके नाम में भी अंतर होता है. मंगलवार को अगर प्रदोष व्रत पड़े तो इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.
आज मंगलवार, 8 जुलाई 2025 को भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. मंगलवार का दिन पड़ने के कारण एक ओर जहां इसका महत्व कई गुणा अधिक बढ़ गया है. वहीं आज के दिन भौम प्रदोष व्रत पर कई रवि योग का संयोग भी बना हुआ है. आज पूजा के लिए शाम 7:24 से रात 9:25 का समय सबसे शुभ रहेगा (Pradosh Vrat 2025 Muhurat). इस तरह से पूजा के लिए 2 घंटे 2 मिनट का समय मिलेगा
प्रदोष व्रत पूजन सामग्री (Pradosh Vrat Pujan Samagri)
शुद्ध जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र, फूल, सफेद चंदन, अक्षत, धतूरा, भांग, भस्म, फूल, फल, मिष्ठान, घी का दीप, लोटा, प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक, आरती की थाली आदि.
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Bhaum Pradosh vrat Puja Vidhi)
प्रदोष व्रत की पूजा आप घर या मंदिर में कर सकते हैं. पूजा के लिए स्नान कर शारीरिक रूप से शुद्ध हो जाएं और साफ कपड़े पहन लें. शुभ मुहूर्त में शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें फिर पंचामृत से भी अभिषेक करें. भगवान को दूध, गंगाजल, बेलपत्र, सफेद चंदन, अक्षत, फूल, फल और मिठाई आदि अर्पित करें. इसके बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुने. घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव की आरती करें. पूजा में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी करें.
भौम प्रदोष व्रत की कथा (Bhaum Pradosh vrat Katha in Hindi)
एक नगर में एक बूढ़ी महिला रहती थी, उसका एक पुत्र भी था. बूढ़ी महिला की हनुमानजी के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा थी. वह हर मंगलवार को व्रत रखती थी और हनुमान जी की पूजा करती थी. एक बार भगवान ने उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का विचार किया. भगवान साधु का रूप धरकर बूढ़ी महिला के घर पहुंचकर उसे पुकारने लगे. आवाज सुनकर बुढ़िया बाहर निकली और बोली- मैं आपकी क्या सेवा करूं महाराज.
साधु बोला- मैं कई दिनों से भूखा हूं, मुझे भोजन पकाने की आवश्यकता है. तुम थोड़ी जमीन लीप दो. बुढ़िया ने कहा- महाराज आप जमीन लीपने और मिट्टी खोदने के अलावा मुझे कोई और काम दें, मैं उसे जरूर पूरा करूंगी. साधु ने कहा अपने पुत्र को बुलाओ. अब में उसी की पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाऊंगा. प्रतिज्ञाबद्ध से विवश होकर बूढ़ी महिला ने आखिरकार पुत्र को आवाज लगाई, पुत्र भी आकर साधु के पास खड़ा हो गया.
साधु का वेश धरे हनुमान जी ने बुढ़िया के पुत्र को पेट के बल लिटाया और पीठ पर अग्नि जला दी. यह देख बूढ़ी महिला दुखी होकर घर के भीतर चली गई. इधर साधु ने भोजन तैयार किया और बूढ़ी महिला को बुलाया. साधु ने कहा तुम अपने पुत्र को भी बुला लो, जिससे कि वह भोजन ग्रहण कर ले. निराश होकर बुढ़िया ने कहा, उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न दें.
साधु के कई बार जिद्द करने पर आखिरकार बुढ़िया ने पुत्र को आवाज लगाई और पुत्र जीवित होकर घर के भीतर से बाहर निकल आया. यह देख बूढ़ी महिला को बहुत आश्चर्य हुआ. वह रोकर साधु के चरणों में गिर पड़ी. तब भगवान हनुमान ने उसे अपने वास्तविक रूप में दर्शन दिए. इस तरह से बूढ़ी महिला को अपने भगवान का आशीर्वाद मिल गया.
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