बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट जांच-सुधार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. याचिकाकर्ता ने इसे बेहद जरूरी बताया है. साथ ही मांग की है कि कोर्ट चुनाव आयोग को पूरे देश में नियमित रूप से ऐसा करने का आदेश दे. इससे पहले चुनाव आयोग के विशेष सघन पुनरीक्षण (Special intensive revision) अभियान के खिलाफ 10 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. अब पहली बार इस अभियान के समर्थन में याचिका दाखिल हुई है.
यह याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है. मंगलवार (8 जुलाई, 2025) को याचिकाकर्ता ने जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जोयमाल्या बागची की अवकाशकालीन बेंच से अनुरोध किया कि गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को बिहार मामले की सुनवाई के दौरान उनकी याचिका भी सुनी जाए. इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा कि वह पहले याचिका की तकनीकी कमियों को दूर करें. उसके बाद रजिस्ट्री मामले को सुनवाई के लिए लगाने पर विचार करेगी.
याचिका में कहा गया है कि बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों में 8 से 10 हजार फर्जी या अवैध वोटर होने का अनुमान है. यह वोट चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है. ऐसे में उसे फर्जी वोटरों का नाम लिस्ट से हटाने के लिए कहा जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि पूरे बिहार में एक विशेष समुदाय की जनसंख्या लगभग 18 प्रतिशत है, लेकिन सीमांचल क्षेत्र में अवैध बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठ के चलते उस समुदाय की जनसंख्या 47 प्रतिशत हो गई है.
याचिकाकर्ता ने बताया है कि बिहार में पिछली बार 2003 में विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान चला था. अब 22 साल के बाद मतदाता लिस्ट की जांच और सुधार का कार्यक्रम शुरू किया गया है. इस तरह का अभियान पूरे देश में नियमित रूप से चलते रहना चाहिए. निष्पक्ष चुनाव भारत के नागरिकों का अधिकार है. उसे पूरा करने के लिए इस तरह की प्रक्रिया आवश्यक है. इससे लोकतंत्र मजबूत होगा. अवैध घुसपैठियों की पहचान से राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बल मिलेगा. याचिका में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के अलावा सभी राज्यों को पक्ष बनाया गया है.
बिहार वोटर लिस्ट जांच-सुधार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका, पूरे देश में लागू करने की मांग
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