बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर एक टीवी चर्चा हुई। इस चर्चा में राज्य में बढ़ते अपराध के मामलों पर गंभीर सवाल उठाए गए। एक प्रतिभागी ने कहा कि “कुल मिलाकर तस्वीर अभी की बिहार की यही कहती है कि वहाँ पर अपराध के मामले लगातार बढ़ते हुए चले जा रहे हैं।” बहस के दौरान, मौजूदा सरकार के सुशासन मॉडल पर सवाल उठे। अपराध के आंकड़ों की तुलना लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासनकाल से की गई। आंकड़ों के अनुसार, 1990 में 1.24 लाख संज्ञेय अपराध थे, जो 2000 तक घटकर 96,000 हुए। वहीं, 2005 में यह 1.04 लाख और 2020 में 2.57 लाख तक पहुंच गए। शराबबंदी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जिसमें पटना हाईकोर्ट की एक टिप्पणी का उल्लेख किया गया कि पुलिस विभाग, एक्साइज डिपार्टमेंट और शराब माफिया के बीच एक नेक्सस है। चर्चा में यह बात सामने आई कि जनता ने सरकार को चुना है, तो उसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि वह ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाए और अपराधियों पर नकेल कसे।
Bihar Crime: Bihar में बढ़ते अपराध पर सरकार से सवाल लेकिन जवाब पर चुप्पी क्यों? Bihar Election
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