Prithiviraj Kapoor Death Anniversary: हिंदी फिल्म इतिहास के पन्नों में कपूर परिवार हमेशा सबसे प्रमुख और सफल फिल्मी घरानों में से एक के रूप में जाना जाता है. इस परिवार ने आठ दशकों में चार पीढ़ियों तक बॉलीवुड को कई सफल सितारे और सुपरस्टार दिए हैं. लेकिन कपूर परिवार का सबसे पहला सुपरस्टार कौन था, जिनकी वजह से हिंदी फिल्मों को कपूर फैमिली से कई नगीने मिले. चलिए यहां जानते हैं.
बुआ से पैसे लेकर मुंबई आए थे
कपूर फैमिली का पहला सुपरस्टार कोई और नहीं पृथ्वीराज कपूर थी. उन्हें आज की पीढ़ी के लोग मुगल-ए-आज़म के बादशाह अकबर के रूप में जानते हैं, लेकिन अभिनेता इससे कहीं बढ़कर थे, कपूर परिवार के मुखिया न केवल फिल्मों में सफलता पाने वाले परिवार के पहले व्यक्ति थे, बल्कि सिनेमा में कदम रखने वाले भी पहले ही थे. 1906 में जन्मे पृथ्वीराज कपूर ने 1920 के दशक में अविभाजित भारत में लायलपुर और पेशावर के थिएटरों में अभिनय करना शुरू किया था. 1927 में उन्होंने बॉम्बे आने का फैसला किया लेकिन पैसे नहीं थे. तब उनकी बुआ ने उन्हें कुछ रुपये उधार दिए थे जिन्हें लेकर वे मायानगरी एक्टर बनने चले आए थे.
बाम्बे आने के बाद उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया था. हालांकि शुरुआत में उन्होंने सपोर्टिंग कलाकार के रूप में छोटी भूमिकाएं कीं. ये साइलेंट फिल्मों का दौर था और एक्स्ट्रा कलाकारों को कोई नोटिस नहीं करता था. फिर पृथ्वीराज की किस्मत चमकी और उन्हें सिनेमा गर्ल में मुख्य भूमिका मिल गई. ये फिल्म 1930 में रिलीज़ हुई थी.
करियर के शुरुआत में निगेटिव रोल किए
पृथ्वीराज ने 1929-31 तक नौ साइलेंट फिल्मों में काम किया था. फिर वे भारत की पहली बोलती फिल्म – आलम आरा में खलनायक की भूमिका में नज़र आए..अपने करियर के शुरुआती वर्षों में, पृथ्वीराज ने अक्सर सपोर्टिंग या निगेटिव रोल किए.इसकी वजह से थी कि उनकी मुख्य भूमिका वाली फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर नहीं चलीं.
1933 में पृथ्वीराज ने चखा स्टारडम का स्वाद
1933 में पृथ्वीराज ने पहली बार स्टारडम का स्वाद चखा. उन्होंने राजरानी मीरा में सेकेंड लीड की भूमिका निभाई थी जिसमें एक और उभरते हुए अभिनेता केएल सहगल भी थे. दोनों ने इस फिल्म से स्टारडम हासिल किया, फिर पृथ्वीराज ने विद्यापति (1937) और सिकंदर (1941) जैसी बड़ी फ़िल्मों में काम किया.
पृथ्वी थियेटर और बाद का करियर
सुपरस्टार बन चुके अभिनेता ने फिर पृथ्वी थियेटर्स की शुरुआत की, जो उनका अपना घुमंतू थिएटर मंडली था. वह फिल्मों में कम सक्रिय हो गए और यहां से थिएटर पर ज्यादा ध्यान देने लगे थे. अगले 16 सालों में उन्होंने भारत भर में 2600 से ज्यादा परफॉर्मेंस दी. 50 के दशक के अंत में, जब घुमंतू थिएटर को फाइनेंशियली दिक्कतें होने लगी तो पृथ्वीराज ने मंडली को बंद कर दिया और सिनेमा में लौट आए.
इस बीच, वह आवारा जैसी मुट्ठी भर फिल्मों में सपोर्टिंग भूमिकाओं में दिखाई दिए. लेकिन इसके बाद, पृथ्वीराज कुछ आइकॉनिक फिल्मों में दिखाई दिए, जिनमें मुगल-ए-आजम शामिल है, जो अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बनी हुई है. 60 के दशक में वे फिल्मों में काफी बड़े पैमाने पर सपोर्टिंग रोल्स में दिखाई दिए. उनकी आखिरी बड़ी प्रेजेंस1971 की फिल्म कल आज और कल थी.
पृथ्वीराज कपूर लीगेसी
पृथ्वीराज के तीन बेटे थे राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर. तीनों ही सुपरस्टार रहे. उनके पोते रणधीर और ऋषि भी सफल अभिनेता थे और परपोते रणबीर, करीना, करिश्मा सभी आज बॉलीवुड में एक्टिव हैं और सुपरस्टार भी बन चुके हैं. पृथ्वीराज के भाई त्रिलोक कपूर भी अभिनेता थे, लेकिन उन्हें ज़्यादा सफलता नहीं मिली, जबकि उनके चचेरे भाई सुरिंदर कपूर भी फिल्म निर्माता बने. सुरिंदर के सबसे बड़े बेटे बोनी खुद फिल्म निर्माता हैं जबकि छोटे बेटे अनिल और संजय भी अभिनेता हैं, अभिनेता कमल कपूर भी पृथ्वीराज के चचेरे भाई थे.
कैंसर से हुआ था निधन
पृथ्वीराज और उनकी पत्नी दोनों को एक साथ कैंसर हो गया था. इस बीमारी से लंबी जंग लड़ने के बाद 29 मई 1972 को पृथ्वीराज ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. उनकी मौत के ठीक दो हफ्ते बाद उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया था.
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