तीस हजारी कोर्ट 17 साल पुराने मर्डर के मामले में एफआईआर दर्ज न करने और मामले को दबाने की कोशिश को लेकर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. तीस हजारी कोर्ट की जज भारती बेनीवाल ने कहा कि यह या तो जानबूझकर की गई लापरवाही है या आरोपियों को बचाने का प्रयास. तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का यह रैवया अत्यंत संदिग्ध है. एक व्यक्ति की मौत जैसे गंभीर मामले में इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
तीस हजारी कोर्ट ने मामले में अधिकारियों को तलब कियातीस हजारी कोर्ट ने इस मामले में डीसीपी सेंट्रल को नोटिस जारी कर एफआईआर दर्ज होने तक के समय मे संबंधित थाना कमला मार्केट के सभी पुलिसकर्मियों की सूची पेश करने का निर्देश दिया है. साथ ही दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी को मामले की जांच कर जिम्मेदारी तय करने और दोषियों के विरुद्ध विभागीय और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
साल 2007 में मिला था शव , 2016 में दर्ज हुई FIRदरअसल 30 जुलाई 2007 को करीब 30 से 35 साल के व्यक्ति का शव संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ था . हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गर्दन पर फंदे का निशान और सिर पर गहरी चोट पाई गई थी. इन निष्कर्षों के बावजूद दिल्ली पुलिस ने तुरंत कोई केस दर्ज नहीं किया. आखिरकार 2016 में एफआईआर दर्ज की गई लेकिन पुलिस की कार्रवाई तब भी ना के बराबर रही.
होटल में मर्डर, शव को नाले में फेंका गयावहीं गवाहों के बयान में सामने आया कि मृतक अजमेरी गेट के पास एक होटल में काम करता था और उसकी हत्या उसी होटल परिसर में की गई थी. बाद में शव को पास के नाले में फेंक दिया गया ताकि अपराध को छिपाया जा सके. कई संदिग्धों के नाम भी सामने आए लेकिन पुलिस ने न तो पूछताछ की और न ही कोई ठोस कार्रवाई.
गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का मामलातीस हजारी कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला पुलिस तंत्र की घोर उपेक्षा और संवेदनहीनता को दर्शाता है. इस जघन्य अपराध के मामले में पुलिस की निष्क्रियता निंदनीय है. अदालत ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 2 अगस्त तय की है.
कोर्ट ने मर्डर केस में FIR नहीं करने पर दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, कहा- ‘बर्दाश्त नहीं…’
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