भास्कर न्यूज | लुधियाना चौड़ा बाजार स्थित तेरापंथ जैन भवन में 266वां तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। इसमें साध्वी चरितार्ध ने बताया कि 266 वर्ष पहले आचार्य भिक्षु जी ने स्थापना की थी। उन्होंने यह भी बताया कि श्रद्धा, समर्पण और साधना की त्रिवेणी का नाम आचार्य भिक्षु है। एक ऐसा तपस्वी जिसने संयम की मशाल से आत्मा का अंधकार दूर किया। एक ऐसा युगप्रवर्तक, जिसने न केवल साधु जीवन को मर्यादा का पाठ पढ़ाया, बल्कि सम्पूर्ण जैन समाज को आचरण की कठोर लकीर पर चलना सिखाया। वो साधु नहीं, संघ निर्माता थे। वो कवि नहीं, आत्मा की गहराई से निकले शब्दों के शिल्पी थे। उनका साहित्य केवल शब्दों का समुच्चय नहीं, बल्कि धर्म का दर्पण और साधना का मार्गदर्शन था। कंटालिया की धरती पर जन्मा वह बालक, जिसे मां ने सिंह का सपना देख जन्म दिया, पर नियति ने उसे धर्म सिंह बनाकर पूरे समाज का रक्षक बना दिया। आचार्य भिक्षु ने जीवन भर न झुका सिर, न डिगे पग। विरोध की आंधी हो या संघर्ष की धूप, उनकी साधना की रोशनी कभी बंद नहीं हुई। वह जिए तो मर्यादा बनकर, और गए तो संघ की आत्मा छोड़कर। चातुर्मास के बारे में साध्वी ने कहा कि यह ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की आध्यात्मिक आराधना का श्रेष्ठ समय है। प्रत्येक चतुर्दशी के दिन तेरापंथी साधु-साध्वियां प्रति निष्ठा समर्पित करते हैं।
चौड़ा बाजार स्थित तेरापंथ जैन भवन में 266वां तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया
5
previous post