छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हुआ 3200 करोड़ का खुलासा, 22 आबकारी अधिकारी सस्पेंड

by Carbonmedia
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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आबकारी विभाग ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. विभाग ने शराब घोटाले में शामिल 22 आबकारी अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. इसके आदेश गुरुवार को जारी कर दिए गए.
दरअसल, EOW के चालान में यह जानकारी सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ में हुए 2100 करोड़ के शराब घोटाले के सिंडिकेट में सभी आबकारी अधिकारी शामिल थे. जिसके बाद आबकारी विभाग ने यह कार्रवाई की है.
करीब 3200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ
वहीं, बेमेतरा जिले के आबकारी अधिकारी प्रमोद कुमार नेताम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए EOW स्पेशल कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई है. इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को होगी. 
EOW की जांच में ये भी सामने आया है कि छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में 2100 करोड़ का नहीं, बल्कि इसमें करीब 3200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. वहीं, EOW की जांच में ये भी सामने आया कि सिंडिकेट बनाने वाले कारोबारी अनवर ढेबर को कमीशन के तौर पर 90 करोड़ रुपए ज्यादा मिले.
15 प्रतिशत कमीशन कारोबारी अनवर ढेबर को मिलता
यह भी खुलासा हुआ कि अनवर ढेबर ने कमीशन के पैसों को अपने रिश्तेदारों और CA के नाम पर अलग-अलग कंपनियों में इन्वेस्ट किया है. EOW के चालान के मुताबिक, शराब डिस्टलरीज से कमीशन और बी पार्ट की शराब बिक्री से मिलने वाले पैसे का 15 प्रतिशत कमीशन कारोबारी अनवर ढेबर को मिलता था.
अनवर ढेबर इन पैसों को अपने करीबी विकास अग्रवाल और सुब्बू की मदद से लेता था. विकास अग्रवाल और सुब्बू शराब दुकानों से पैसे के कलेक्शन का काम करते थे.
अधिकारियों को करीब 88 करोड़ रुपए मिले
शराब घोटाले की जांच कर रही EOW को पता चला कि इस पूरे घोटाले में बड़े अधिकारियों और नेताओं के अलावा कई जिलों के आबकारी अधिकारी भी शामिल थे. EOW ने जांच में पाया कि सिंडिकेट के साथ साठगांठ कर इन तमाम आबकारी अधिकारियों को करीब 88 करोड़ रुपए मिले थे.
इन तमाम 22 आबकारी अधिकारियों के नाम EOW ने अपने चालान में शामिल किए हैं. जिसके बाद आबकारी विभाग ने इन सभी 22 आबकारी अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है.
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच EOW और ED अलग-अलग कर रही है. ईडी ने उसको लेकर ACB में केस दर्ज किया है. ED की जांच में सामने आया कि छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान आबकारी मंत्री कवासी लखमा, IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह ने मिलकर एक सिंडिकेट तैयार किया.
जिसके जरिए छत्तीसगढ़ आबकारी नीति में कुछ चुनिंदा शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से बदलाव किए गए. इसके साथ ही शराब की बोतलों में नकली होलोग्राम लगाकर भी करोड़ों की चपत आबकारी विभाग को लगाई गई, जिसके कमीशन के तौर पर भी सिंडिकेट ने करोड़ों रुपए कमाए.
इस मामले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह समेत कई अधिकारी जेल में हैं.

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