हिमाचल प्रदेश में आई आपदा ने तबाही मचा दी. इस आपदा में 90 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. वहीं कई लोग अपनों से बिछड़ गए. प्रदेश के 34 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चला है. इस आपदा में सराज के तलवाड़ा गांव की नौ महीने की बच्ची ने अपने माता-पिता और दादी को खो दिया है. शुक्रवार (11 जुलाई) को पूर्व सीएम जयराम ठाकुर इस बच्ची से मिलने पहुंचे.
तलवाड़ा गांव की ये प्यारी सी बच्ची 30 जून की भयंकर त्रासदी में अनाथ हो गई थी. इस गुड़िया नितिका के पिता नरेश कुमार, दादी पुरणु देवी और माता की 30 जून रात बाढ़ में बह जाने से मौत हो गई, जबकि 9 माह की निकिता रसोई में सुरक्षित रही. इनके पिता, माता और दादी पानी का बहाव दूसरी तरफ मोडने में लगे थे और उसी समय पीछे से पानी आ गया और तीनों बह गए. सुबह लोगों ने बिटिया को रसोई में पड़े देखा और रिश्तेदारों ने उसे सुरक्षित वहां से निकाल लिया.
मासूम ने अभी “माँ” बोलना भी नहीं सीखा, लेकिन इसकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रही। वो अब कभी अपने पिता की उंगली पकड़कर चलना नहीं सीखेगी, क्योंकि उसके पिता भी इस त्रासदी में हमेशा के लिए चले गए।प्राकृतिक आपदा ने मेरे सराज को कई ऐसे जख्म दिए हैं, जो जिंदगीभर नासूर बनकर रहेंगे।ऐसा… pic.twitter.com/8aEyP0lzll
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) July 11, 2025
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने बच्ची को दिया दुलारशुक्रवार (11 जुलाई) को पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने यहां पहुंचकर बच्ची को गोद में लेकर उसे दुलार दिया. यह बेटी जयराम ठाकुर के पीएसओ रहे बलवंत ठाकुर के परिवार से है. जिनका कहना है कि कई लोग गुड़िया को गोद लेने के लिए आग्रह कर रहे हैं लेकिन गुड़िया की बुआ और बाकी रिश्तेदारों का कहना है कि ये उनके परिवार का एक नन्हा फूल है जिसे वे हरगिज किसी को नहीं देने वाले. ये उनके लिए भाई, बहन और मां जैसी उस परिवार से है.
‘बच्ची से मिलकर टूटा दिल’पूर्व सीएम जयराम ठाकुर को मासूम बच्ची के दर्द का अहसास हो रहा है, हालांकि मासूम बच्ची अभी इस दूनिया से अन्जान है. उन्होंने कहा कि आज इस मासूम से मिलकर दिल टूट सा गया है. बेटी की मासूम मुस्कान जैसे अंदर से वेदना को बयां कर रही हो, शायद बेटी को मां का इंतजार हो! मन के भीतर से अपने माता-पिता को ढूंढ रही हो लेकिन अब वो कभी नहीं आएंगे जिससे बिटिया अनजान है. गोद में खिलखिलाती इस बच्ची को देखकर बाहर से सब कुछ सामान्य लग सकता है, लेकिन भीतर एक ऐसा सूनापन है, जो शब्दों से परे है.