बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के ‘सूत्रों’ पर विवादित टिप्पणी की, जिसकी कड़ी निंदा की गई. इस टिप्पणी को अमर्यादित और शर्मनाक बताया गया. बहस के दौरान, चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट शुद्धता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए. यह मुद्दा उठाया गया कि 2024 के चुनाव के कुछ महीने बाद ही यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई और इसके लिए पर्याप्त समय क्यों नहीं दिया गया. सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस प्रक्रिया के समय और आधार, वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को शामिल न करने पर सवाल उठाए हैं. यह चिंता व्यक्त की गई कि कम समय के कारण वास्तविक मतदाता अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे और मतदान से वंचित हो सकते हैं. बिहार की 13 करोड़ आबादी और 8 करोड़ मतदाताओं का हवाला देते हुए, प्रक्रिया को और सुचारु ढंग से करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया ताकि मतदाताओं में भ्रम न फैले.
Bihar Voter List Revision: क्या मतदाताओं के लिए भ्रम पैदा कर रही है EC की प्रक्रिया? Bihar Election
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