दिसंबर 2024 में शहर के एक जाने-माने टेक्सटाइल कारोबारी से 86 लाख की साइबर ठगी के मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। करीब 8 महीने की लंबी छानबीन और 100 से ज्यादा बैंक खातों की जांच के बाद साइबर थाना लुधियाना की टीम ने मास्टरमाइंड को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की उम्र करीब 40 साल है और वह एक निजी आईटी कंपनी का मालिक है। साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सतवीर सिंह ने बताया कि मौजूदा नियमों के अनुसार आरोपी की पहचान फिलहाल उजागर नहीं की जा सकती। लेकिन, ये स्पष्ट है कि आरोपी ने बाकायदा एक संगठित गिरोह की तरह फर्जी बैंक खातों की मदद से इस ठगी को अंजाम दिया। मास्टर माइंड ऐसे 50 से ज्यादा बैंक अकाउंट की ऑनलाइन बैंकिंग इस्तेमाल कर रहा था। इन्हीं खातों में ठगी की रकम को आगे से आगे ट्रांसफर करता रहा। लेकिन एक खाते में से कुछ पैसे निकालने पर पुलिस उस खाताधारक तक पहुंची और फिर पूछताछ करते हुए मास्टर माइंड को काबू कर लिया। पुलिस ने उसके कब्जे से अब तक 21.50 लाख रुपये की राशि रिकवर कर ली है। 18 दिसंबर को ठगी हुई थी कारोबारी श्रेणिक जैन ने पुलिस को बताया कि उनके अकाउंटेंट अमित सलारिया को एक अनजान नंबर से मैसेज आया, जिसमें खुद को श्रेणिक जैन बताया था। 18 दिसंबर को आरोपी ने अकाउंटेंट को एक बैंक का अकाउंट नंबर भेजा और नया बिजनेस शुरू करने का हवाला देकर 86 लाख ट्रांसफर करने को कहा। अकाउंटेंट ने रकम ट्रांसफर कर दी। जब असली श्रेणिक जैन को इस बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत पुलिस को शिकायत दी। एजेंट ने खातों की डिटेल बेचीं पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ये सभी बैंक अकाउंट अलग-अलग बैंकों के थे। बैंक के एजेंट अपने टारगेट पूरा करने के लिए खुद आम लोगों से मिलकर खाते खुलवाते थे। उसके बाद कुछ लोग तो उन अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कुछ लोग उन बैंक अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते थे। ऐसे में बैंक के एजेंट उन अकाउंट की जानकारियों को बेच देते हैं और फिर इन्हीं खातों में साइबर ठग रकम ट्रांसफर कर धोखाधड़ी करते हैं। खाताधारकों को खातों में पैसे आने की जानकारी नहीं थी पुलिस जांच में सामने आया कि दिसंबर में कारोबारी से ठगी होने के बाद पहले 3 बैंक अकाउंट में रुपयों को पीड़ित ने भेजा। उसके बाद शुरुआत के 4 महीने 86 लाख रुपये 50 के करीब बैंक अकाउंट में जाते रहे। लेकिन उन बैंक अकाउंट के मालिकों को खुद पता नहीं था कि उनके अकाउंट में इतनी बड़ी रकम आई है। फिर आखिर में सिर्फ 20 अकाउंट में रुपये पहुंचे। पुलिस इन सभी खातों पर नजर रख रही थी। एक दिन जब एक बैंक अकाउंट से रुपये निकले तो पुलिस उक्त बैंक अकाउंट के मालिक के पास पहुंची और पूछताछ की। पूछताछ में आईटी कंपनी के मालिक का खुलासा हुआ। जांच में मालूम चला कि मास्टर माइंड इन सभी बैंक अकाउंट को हैंडल कर रहा था। कई बैंक अकाउंट पर नेट बैंकिंग इस्तेमाल कर रहा था। ये सभी खाते मजदूर, छोटे दुकानदार या फिर साधारण लोगों के थे। जिन्हें कुछ रुपये देकर उनके दस्तावेज पर बैंक अकाउंट बनाए गए।
मास्टरमाइंड 50 खाते चला रहा था, एक से पैसे निकले तो फंसा
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