आपातकाल के मीसा से जुड़े दस्तावेज हो सकते हैं सार्वजनिक, दिल्ली सरकार कर रही तैयारी

by Carbonmedia
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देश के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे विवादास्पद दौर आपातकाल से जुड़ी फाइलें अब आम जनता के सामने आ सकती हैं. जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार 1970 के दशक में लागू किए गए ‘मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट’ (मीसा) से संबंधित गोपनीय रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
दिल्ली सरकार का स्टेट आर्काइव डिपार्टमेंट इन ऐतिहासिक फाइलों को अब डिजिटाइज़ करने की योजना बना रहा है. साथ ही, दिल्ली सरकार के भीतर इस बात की भी चर्चा चल रही है कि इन फाइलों को सार्वजनिक करके जनता के सामने लाना चाहिए, हालांकि अब तक इस पर कोई ठोस आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है.
मीसा कानून का इस्तेमाल कब किया गया ?
असल में, मीसा कानून का व्यापक इस्तेमाल 1975 से 1977 के बीच इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के लिए किया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, इससे जुड़ी कई फाइल दिल्ली सरकार के आर्काइव में रखी हैं. इन फाइलों को डिजिटलाइज्ड करके सार्वजनिक करने का एक प्रस्ताव भी दिल्ली सरकार के गृह विभाग को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया है और अनुमति मिलते ही डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
 राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में लागू किया गया था
साथ ही, अभिलेखों को सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कराया जाएगा. मीसा कानून की बात करें तो यह संसद से 1971 में पारित किया गया था और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में लागू किया गया था. 
कानून इतना सख्त था कि इसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना आरोप, बिना मुकदमा चलाए, अनिश्चितकालीन हिरासत में रखा जा सकता था. 25 जून 1975 को आपातकाल लागू होते ही इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए बड़े पैमाने पर किया गया.
4 करोड़ दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हुई
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, हाल के ही दिल्ली सरकार के करीब 4 करोड़ दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हुई है, जिसमें मीसा से संबंधित कई अनदेखी फाइलें सामने आई हैं, जिसमें उन हजारों लोगों के नाम, गिरफ्तारी रिपोर्ट, हिरासत के कारण और कारावास की अवधि शामिल है.
जिन्हें सिर्फ सरकार की आलोचना करने के कारण जेल भेज दिया गया था. जिसमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई जैसे प्रमुख नेता भी शामिल थे.

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