चरखी दादरी जिले में विकास की दृष्टि को देखते हुए अधिवक्ताओं एवं स्थानीय नागरिकों ने एडवोकेट संजीव तक्षक की अगुआई में वर्तमान उपायुक्त मुनीश शर्मा का तुरंत प्रभाव से कहीं ओर स्थानान्तरण करने की मांग की है। इसके लिए मुख्य सचिव हरियाणा सरकार के नाम सीटीएम को ज्ञापन सौंपा। कार्यशैली पर उठाए सवाल
उन्होंने अपने लिखित ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया है कि चरखी दादरी के वर्तमान उपायुक्त मुनीश शर्मा जब से यहां तैनात हुए है, तब से अपनी कोठी से बाहर नहीं निकले है,कैम्प को ही विश्राम गृह बना रखा है। आम जनता को यह आभास है ही नहीं कि दादरी जिले में उपायुक्त है भी या नहीं। उनका आरोप है कि सरल केन्द्र जैसे कार्यालयों में खूली लूट-खसोट चल रही है और सरकार की रोक के बावजूद 7 ए (अवैद्य रजिस्ट्रियां) अधिकारियों की मिलीभगत से खुल्ले आम हुई है। कार्यालय नहीं आने के आरोप ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया कि लघु सचिवालय के अगर सीसीटीवी कैमरों का निरीक्षण किया जाए तो उपायुक्त चरखी दादरी की कार्यालय में सिटिंग ना के बराबर मिलेगी। सरकारी औपचारिकताओं व कष्ट निवारण समिति के अतिरिक्त चरखी दादरी जिले में उपायुक्त की उपस्थिति बिल्कुल नगण्य है। कष्ट निवारण समिति की अगर बात की जाए तो वर्तमान उपायुक्त ने जिले के प्रमुख विभागों की पिछली भ्रष्टाचार के मुद्दों (ओवर लोडिंग, माइनिंग, जर्जर नेशनल हाईवे) की शिकायतों को समाधान करवाने की बजाय ग्रीवेंसेज कमेटी की सूची से ही हटा दिया। अधिकारियों ने की जिले की अनदेखी
इसके अतिरिक्त ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि चरखी दादरी जिला बनने के बाद जिले में आए अधिकतर प्रमुख अधिकारियों की निम्न स्तर की कार्यशैली की वजह से 9 वर्ष से बने चरखी दादरी जिले के हालात धरातल पर उपमंडल से भी बदतर हो चुके है। आम जनता की समस्याएं अधिकारियों की निरंकुश कार्यप्रणाली के कारण घटने की बजाय बढ़ती जा रही है। जिला मुख्यालय को एक बड़े ग्राम पंचायत की तरह मन-मर्जी का अड्डा बना दिया है। अधिकतर अधिकारियों ने विभिन्न विभागों में भ्रष्टचार को बढ़ावा दिया है या फिर बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को देखकर चिरनिंद्रा में सोए हुए है। ये देखा जाए कि 2014 से अभी तक 11 वर्षों में इसी सरकार ने चरखी दादरी को क्या दिया है और अधिकारियों की तरफ से क्या मिला है? सरकार ने समय-समय पर चरखी दादरी जिले के विकास के लिए जो बजट जारी किया है, वो अधिकारियों व उनके चहेते ठेकेदारों की वजह से चुनिन्दा लोगों की जेब में चला गया है। इसलिए सरकार की ईमानदारी के बावजूद अधिकारियों की मन-मर्जी से दादरी जिले के हालात और अधिक बिगड़े है। सरकार द्वारा संचालित खुल्ला दरबार एवं कष्ट निवारण समिति दिखावे के समान है। विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप आगे उन्होंने कहा कि यहां तक कि लम्बे समय के बड़े मुद्दे ओवरलोडिंग, अवैद्य खनन, सरल केन्द्र में भ्रष्टाचार, नगर परिषद व विभिन्न विभागों में भ्रष्ट अधिकारियों के चहेते ठेकेदारों के द्वारा सरकारी लूट के अलावा ऐसी अनेकों समस्याएं भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से दादरी की जनता को झेलनी पड़ रही है। जिले का एक बड़ा बजट (माइनिंग फंड) का भी अधिकारी दुरुपयोग कर रहे है। माइनिंग प्रभारी क्षेत्रों में उसका सदुपयोग कहीं भी नहीं है। वहीं प्रशासन की सुस्त कार्यप्रणाली की वजह मेडिकल कॉलेज, सरकारी पीजी कॉलेज व अन्य विकासशील परियोजनाएं अधर में लटक गई। आंदोलन की चेतावनी दी अधिवक्ता संजीव तक्षक एवं उनकी टीम ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि अन्य जिलों की भांति चरखी दादरी जिले के विकास को ध्यान में रखते हुए उपायुक्त मुनीश शर्मा का तुरंत प्रभाव से कहीं ओर स्थानान्तरण किया जाए। साथ ही वर्तमान उपायुक्त का प्रशिक्षण किसी अच्छे अधिकारी से करवाया जाए और उसके बाद किसी जिले का भार सौंपा जाए। वहीं उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि इससे पहले कि चरखी दादरी की जनता सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हों, सरकार को चाहिए कि किसी ईमानदार एवं कार्य करने वाले अधिकारी की नियुक्ति चरखी दादरी जिले में शीघ्र की जाए ताकि 9 वर्ष पहले बने चरखी दादरी जिले को सही मायने में जिले का स्वरूप मिल सके। ये रहे मौजूद ज्ञापन सौंपने वालों में वकील प्रदीप कालीरमण, प्रशांत गहलावत, प्रवीन तक्षक, अमित गांधी, रविन्द्र सांगवान, मोहित चौधरी, राजा गोदारा, अंकित श्योराण, साहिल गोदारा, विकास महला आदि ने मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को शिकायत भेजी व नगराधीश को ज्ञापन सौंपा।
दादरी डीसी के तबादले की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन:अधिवक्ताओं ने सीटीएम के माध्यम से भेजी मांग,कार्यशैली पर उठाए सवाल
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