17 साल पुराने जज नोट कांड में सभी आरोपितों को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस साल 29 मार्च 2025 को सुनाए गए फैसले में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव, दिल्ली के कारोबारी रविंद्र भसीन, पंचकूला के व्यापारी राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। अब सीबीआई ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर इस फैसले को चुनौती दी है। सीबीआई का कहना है कि निचली अदालत ने कई जरूरी गवाहों और सबूतों को नजरअंदाज कर आरोपितों को बरी कर दिया, जिससे जांच एजेंसी को बड़ा झटका लगा है। जानिए पूरा मामा क्या था यह मामला 13 अगस्त 2008 का है जब पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर के सरकारी आवास पर 15 लाख रुपए कैश से भरा पैकेट पहुंचा। जांच में सामने आया कि यह रकम हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल ने जस्टिस निर्मल यादव को भिजवाई थी, लेकिन गलती से यह जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गया। जस्टिस निर्मलजीत ने मामले की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने 16 अगस्त 2008 को एफआईआर दर्ज की और फिर 26 अगस्त को जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई का आरोप है कि यह रकम एक विवादित प्रॉपर्टी केस में रिश्वत के तौर पर जस्टिस निर्मल यादव को दी जा रही थी। सीबीआई ने कोर्ट में रखे ये सबूत – जो निचली अदालत ने नहीं माने – जज आर.के. जैन की गवाही:सीबीआई ने जज आर.के. जैन को बतौर गवाह पेश किया, जिन्होंने कहा कि जस्टिस निर्मल यादव व अन्य आरोपित प्रॉपर्टी डील में शामिल थे और अपनी पहचान का फायदा उठाकर फैसले अपने पक्ष में करवाते थे। – फोन कॉल डिटेल्स:सीबीआई के मुताबिक निर्मल यादव और रविंद्र भसीन के बीच लगातार फोन पर संपर्क था, लेकिन अदालत ने इन कॉल डिटेल्स को भी तवज्जो नहीं दी। – दिल्ली पुलिस के अधिकारी की गवाही:तत्कालीन ज्वाइंट कमिश्नर राजेश कुमार ने गवाही दी कि भसीन ने नोटों की गलत डिलीवरी के बाद मदद मांगी थी, पर कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी। – रविंद्र भसीन का एफिडेविट:सीबीआई को भसीन का एफिडेविट पत्र मिला था, जिसमें उसने स्वीकार किया कि 15 लाख रुपए जस्टिस निर्मल यादव को देने के लिए भेजे थे, लेकिन कोर्ट ने इसे भी नजरअंदाज किया। ये थी केस की टाइमलाइन 13 अगस्त 2008: 15 लाख रुपए जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंचे 16 अगस्त 2008: एफआईआर दर्ज 26 अगस्त 2008: जांच सीबीआई को सौंपी गई 18 जनवरी 2014: चारों आरोपितों के खिलाफ आरोप तय 29 मार्च 2025: सीबीआई कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया
हाईकोर्ट मे पूर्व जस्टिस को बरी के खिलाफ याचिका दायर:CBI-अहम गवाहों और सबूत किए नजरअंदाज, बढ़ सकती है पूर्व जस्टिस निर्मल यादव की मुश्किलें
2