पंजाब के पटियाला में 13 मार्च को नाभा में जसप्रीत सिंह 22 नाम के एक युवक की पुलिस एनकाउंटर में मौत हुई थी। मृतक के परिजनों ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली है। उ वे इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि लोगों के सामने सच्चाई सामने आए। उन्होंने याचिका में कुछ बिंदुओं को उठाया है, जो यह दर्शाते हैं कि यह एनकाउंटर नहीं, बल्कि हत्या है। याचिका में उठाए गए 2 सवाल इस प्रकार हैं – 1. याचिका में कहा गया है कि जसप्रीत हाल ही में कनाडा से लौटा था, जहां वह पढ़ाई कर रहा था। उसे पुलिस ने संदिग्ध परिस्थितियों में गोली मार दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सात गोली के घाव सामने आए हैं, जिनमें से तीन करीब से और एक माथे पर लगी गोली शामिल है, जो नजदीक से गोली मारने का संकेत देती है। 2. मृतक के माता-पिता का आरोप है कि जांच का सामना करने के बजाय, शामिल पुलिस अधिकारियों को पदोन्नति और नकद प्रोत्साहन से पुरस्कृत किया गया। उनका तर्क है कि हत्या के लिए जिम्मेदार उसी बल द्वारा निष्पक्ष जांच अस्वीकार्य है। एनकाउंटर की सारी कहानी 5 प्वाइंटों में जानें – 1. 12 मार्च को खन्ना में 6 वर्षीय बच्चे भव कीरत सिंह का अपहरण हो गया। बच्चे के परिवा का कहना है कि बच्चा आंगन में खेल रहा था, तभी उसे मास्क पहने दो व्यक्तियों ने बाइक पर उठाकर ले गए। घरवालों ने करीब सात किलोमीटर तक उनका पीछा किया, लेकिन आरोपी उसे ले जाने में कामयाब रहे। 2.पुलिस ने घटना के बाद उसी रात दो बजे मलेरकोटला पुलिस द्वारा अपहरणकर्ताओं को ट्रेस कर लिया। हालांकि, जब पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा, तो उनके पास बच्चा नहीं था, जिससे पुलिस की चिंता बढ़ गई थी। 3. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि बच्चा जसप्रीत सिंह के साथ था।। उनकी योजना थी कि वे परिवार से बच्चे को छोड़ने के बदले एक करोड़ रुपए मांगेंगे। यदि पकड़े जाते, तो बच्चे को खत्म करने की धमकी दी गई थी। 4. इसके बाद, पटियाला पुलिस ने अगले दिन शाम को आरोपी को स्कॉर्पियो कार समेत घेर लिया। जब पुलिस ने उसे रुकने का इशारा किया, तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें आरोपी घायल हो गया और उसे पकड़ लिया गया। बच्चे को कार की सीट के पास से बरामद किया गया, जो काफी डरा हुआ था। उसे सुरक्षित छुड़वा लिया गया, लेकिन जसप्रीत को अस्पताल में भर्ती करवाने के बाद उसकी मौत हो गई। 5. केस हल होने के बाद पुलिस ने इस केस का सुलझाने वाली टीम को दस लाख का नकद इनाम देकर सम्मानित। जबकि बच्चे को फाइनेंस मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने खन्ना पहुंचकर बच्चे को परिजनाें को सौंपा था। पहले मांगे थे एक करोड़, 30 लाख में डील बच्चे के दादा गुरजंट सिंह ने उस समय मीडिया को बताया कि शुरुआत में आरोपियों ने कोई फोन नहीं किया, लेकिन बाद में उन्होंने कॉल करके एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी। गुरजंट सिंह ने बताया कि उन्होंने साफ कह दिया कि उनके पास एक करोड़ रुपए नहीं हैं, बल्कि केवल तीस लाख रुपए ही उपलब्ध हैं। आरोपियों ने कहा था कि शाम आठ बजे तक पैसे का इंतजाम कर लें। इस बीच, गुरजंट सिंह ने इस बारे में पहले ही पुलिस को सूचना दे दी थी। जैसे ही पुलिस को आरोपियों की जानकारी मिली, उन्होंने कार्रवाई करते हुए एनकाउंटर के बाद उन्हें काबू कर लिया
नाभा एनकाउंटर मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई आज:परिजन इसे फर्जी बता रहे हैं, सीबीआई जांच की उठाई है मांग; आरोपियों को किया सम्मानित
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