करनाल में सड़कों पर उतरे सिंचाई विभाग के कर्मचारी:तीन महा से नहीं मिला वेतन, अधिकारी भाग रहे अपनी जिम्मेदारियों से

by Carbonmedia
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करनाल में सिंचाई विभाग के करीब 450 कर्मचारियों को बीते तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। शासन और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से परेशान होकर कर्मचारियों ने सिंचाई विभाग के कार्यालय पर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की।
कर्मचारियों का आरोप है कि एक जिले की गलती की सजा दूसरे जिले को दी जा रही है, जबकि करनाल के कर्मचारियों का उस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। विभागीय अधिकारी समस्या का समाधान करने की बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। कई कर्मचारी कर्ज में डूब चुके हैं, कुछ डिफॉल्टर बन गए हैं, और कई के घरों में चूल्हे तक नहीं जल रहे। कुरुक्षेत्र में हुई घटना का असर करनाल पर
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि कुरुक्षेत्र में कुछ समय पहले एक व्यक्ति की नहर में गिरने से मौत हो गई थी। उस मामले में कोर्ट ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया। यह पूरा मामला कुरुक्षेत्र जिले का था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने करनाल के कर्मचारियों को भी उसमें लपेट लिया और तीन महीने से उनका वेतन रोक दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि यह पूरी तरह अन्याय है। कुरुक्षेत्र के एसई ने बताया कि उनका एक्सईएन भगौड़ा हो गया
संदीप कुमार व अन्य ने बताया कि जब वे कुरुक्षेत्र के एसई से मिले तो उन्होंने कहा कि उनका एक्सईएन (XEN) भगौड़ा हो चुका है और वे खुद असहाय हैं। कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि जब एक्सईएन गायब हो गया है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। विभागीय तंत्र एक व्यक्ति की गलती की सजा पूरे जिले के कर्मचारियों को दे रहा है। मंत्री के पास भी रखी गई बात, उन्होंने भरोसा दिलाया, लेकिन समाधान अभी तक नहीं
कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री श्रुति चौधरी के सामने भी अपनी परेशानी रखी थी। मंत्री ने उन्हें समर्थन का आश्वासन दिया, लेकिन तीन महीने बीतने के बावजूद न तो सैलरी जारी हुई और न ही विभाग ने कोई समाधान निकाला। अधिकारी सिर्फ फाइलों की दौड़ और औपचारिक जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। कई कर्मचारी बने डिफॉल्टर, घरों में चूल्हा जलना भी मुश्किल
धरना दे रहे कर्मचारियों ने बताया कि वेतन न मिलने के कारण उनके घरों में भूखे मरने की नौबत आ गई है। जिनके ऊपर लोन है, वे किश्तें नहीं भर पाने के कारण डिफॉल्टर बन चुके हैं। बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पा रहे, और परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कई कर्मचारियों के घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा। अधिकारी सिर्फ कुर्सियों पर बैठकर कर रहे मनमानी
धरने पर बैठे एक कर्मचारी ने कहा कि विभागीय अधिकारी दफ्तरों में बैठे अपनी मनमानी कर रहे हैं। न तो उन्हें कर्मचारियों की हालत की चिंता है और न ही परिवारों की। कई बार अधिकारियों से प्रार्थना की गई, पत्र लिखे गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। एक भगौड़े अधिकारी की वजह से पूरा विभाग बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। तुरंत सैलरी जारी हो, और दोषियों पर हो कार्रवाई
आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने मांग की है कि करनाल जिले के कर्मचारियों को कुरुक्षेत्र केस से अलग किया जाए और तुरंत उनका रुका हुआ वेतन जारी किया जाए। इसके अलावा भगौड़े अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो और भविष्य में इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए जाएं। जब तक सैलरी नहीं मिलती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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