Nag Panchami 2025: नाग पंचमी श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला पर्व है, जब नागों, विशेषकर आठ प्रमुख नागों (अष्टनाग), की पूजा की जाती है. यह तिथि राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को आस्तिक मुनि द्वारा रोके जाने की स्मृति में है. इस दिन की पूजा कलियुग में भय, बाधा और रोग से रक्षा देती है.
श्रावण मास की पंचमी तिथि पर ही क्यों होती है नाग पूजा? सर्पमेध यज्ञ की पृष्ठभूमिनाग पंचमी केवल सांपों के प्रति श्रद्धा का दिन नहीं है, बल्कि यह पौराणिक इतिहास और ब्रह्मांडीय न्याय का प्रतीक भी है.
राजा परीक्षित, अर्जुन के पोते, तक्षक नाग द्वारा मारे गए थे. उनके पुत्र जनमेजय ने बदला लेने के लिए सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी नागों को अग्नि में आहुति देने की योजना थी.
तभी आस्तिक मुनि, वासुकि नाग के भतीजे, ने यज्ञ को बीच में रोक दिया. यह वही दिन था, श्रावण शुक्ल पंचमी, जिसे नाग पंचमी के रूप में मान्यता मिली.
नाग और सर्प में क्या है अंतर? कौन होते हैं अष्टनाग?शास्त्रों के अनुसार:
पक्ष
नाग
सर्प
फन
होता है
नहीं होता
कुल
कद्रू और कश्यप की संतानें
अन्य जातीय सर्प
पूजा योग्य
हां (विशेषकर अष्टनाग)
नहीं (सामान्य रूप से नहीं)
अष्ट कुल नाग (Ashta Kula Nāga):
अनंत
वासुकि
तक्षक
कुलिक
कर्कोटक
पद्म
महापद्म
शंखपाल
मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भय, विष, रोग और कलह से मुक्ति मिलती है.
कर्कोटक की कथा: जंगल, श्राप और राजा नल की विकृतिराजा नल और दमयंती की प्रसिद्ध कथा में कर्कोटक नाग की भूमिका अत्यंत रहस्यमयी है.
नल, विदर्भ की राजकुमारी दमयंती से प्रेम करते थे. इंद्र, अग्नि, वरुण स्वयंवर में आए और नल का रूप धारण किया. दमयंती ने असली नल को पहचान लिया.
इस छल को देखकर कलि क्रोधित हुआ और नल के जीवन में संकट ले आया. नल ने सबकुछ खोकर दमयंती को जंगल में छोड़ दिया.
जंगल में उन्हें मिला एक विशाल नाग , कर्कोटक, जो नारद के श्राप से स्थिर था. नल ने उसे बचाया, और कर्कोटक ने उसे डस लिया , जिससे उसका रूप कुरूप हो गया.
कर्कोटक का विष ही उसे कलि के प्रभाव से बचाने वाला कवच बना. उसी ने राजा नल को राजा ऋतुपर्ण के पास जाने की सलाह दी और दो रेशमी वस्त्र दिए , जिनसे उसका रूप फिर लौटना था.
इस कथा का सन्देश: जिसे तुम विनाश समझते हो, वही कभी-कभी रक्षा का माध्यम बनता है.
तक्षक नाग और राजा परीक्षित की मृत्यु, कलियुग की शुरुआत की कथाराजा परीक्षित ने क्रोधवश एक ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया. उसी ऋषि के पुत्र ने शाप दिया. तक्षक नाग तुम्हें 7वें दिन मार डालेगा. सातवें दिन, तमाम सुरक्षा उपायों के बावजूद, तक्षक ने अग्नि रूप में प्रवेश कर राजा परीक्षित को भस्म कर दिया. यह घटना कलियुग में दण्ड और न्याय की नई धारा का सूत्रपात थी.
नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व: भय से मुक्ति और आध्यात्मिक रक्षापूजा लाभ:
कालसर्प दोष से राहत
कुटुम्ब संकट, आर्थिक विष बाधा से मुक्ति
गुप्त रोग, मानसिक भय, अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षा
पूजा विधि:
नाग चित्र या मिट्टी के नाग की पूजा करें
दूध, कुश, दूब, चंदन, हल्दी-रोली अर्पित करें
नाग गायत्री मंत्र, अथर्वशीर्ष या नाग स्तोत्र का पाठ करें
क्यों जरूरी है नागों का संरक्षण? आधुनिक दृष्टि में नाग पंचमी
सांप पर्यावरण की पारिस्थितिकी के लिए आवश्यक हैं
अनाज की रक्षा, चूहों की संख्या नियंत्रण में रखते हैं
हर वर्ष सांपों को दूध पिलाने के चक्कर में कई सर्प मरते हैं , यह अवैज्ञानिक परंपरा है
इस वर्ष नाग पंचमी तिथि
तिथि
वार
विशेषता
29 जुलाई 2025
मंगलवार
श्रावण शुक्ल पंचमी
नाग पंचमी सिर्फ पूजा नहीं, ब्रह्मांडीय संतुलन की याद हैनाग पंचमी वह तिथि है जब हम केवल सांपों की पूजा नहीं करते, बल्कि संतुलन, न्याय, और धर्म की पुनर्स्थापना का पर्व मनाते हैं.कर्कोटक की कथा, तक्षक का श्राप, और आस्तिक की करुणा , ये सब मिलकर हमें एक बात सिखाते हैं:
धर्म, करुणा और बुद्धि का संगम ही कलियुग की सच्ची विजय है.
FAQsQ1. नाग पंचमी पर कौन से नागों की पूजा की जाती है?अष्टनाग: अनंत, वासुकि, तक्षक, कुलिका, कर्कोटक, पद्म, महापद्म और शंखपाल.
Q2. क्या नागों को दूध पिलाना सही है?नहीं, यह अवैज्ञानिक है. नाग दूध नहीं पीते और इससे उनकी मृत्यु भी हो सकती है.
Q3. कर्कोटक की पूजा क्यों करें?कर्कोटक की पूजा करने से कलि प्रभाव से रक्षा, आत्मबल और संकटमोचन शक्ति मिलती है.
Q4. नाग पंचमी का वैज्ञानिक महत्व क्या है?यह पर्यावरण संतुलन की चेतना और सांपों के संरक्षण की दिशा में एक स्मारक दिवस है.
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