गुरुग्राम में अवैध रूप से पकड़े गए बंगलादेश के नागरिकों ने बड़ा खुलासा किया है। ये लोग बंगलादेश के साथ लगते सीमावर्ती नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के जंगली और पहाड़ी रास्तों का प्रयोग करते हुए डंकी रूट से भारत में पहुंचते हैं। जो पश्चिमी बंगाल, बिहार होते हुए हरियाणा के नूहं इलाके में ठहरते हैं। यहां से ये लोग गुरुग्राम समेत दिल्ली एनसीआर के शहरों में पहुंचते हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ में पता चलता है कि अधिकतर बंगलादेशी नागरिक छह साल पहले यहां आए थे। शुरू में इन्होंने कूड़ा बिनने का काम किया। इसके बाद धीरे धीरे ये लोग अपने डॉक्यूमेंट बनवाना शुरू कर देते हैं और फिर फैक्ट्री में श्रमिक, स्क्रैप समेत अन्य कार्यों में लग जाते हैं। जो न केवल गुरुग्राम बल्कि देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। जो लोग अवैध रूप से शहर में मिले हैं, इनमें से किसी के पास हरियाणा सरकार द्वारा जारी पहचान का कोई वैध दस्तावेज नहीं पाया गया। हालांकि कुछ लोगों के पास पास नॉर्थ ईस्ट राज्यों के डॉक्यूमेंट जरूर मिले हैं। जिनकी वैरिफिकेशन नहीं हो पाई।एक सप्ताह से चल रहे इस अभियान के तहत 250 से अधिक संदिग्ध लोगों को होल्डिंग सेंटरों में भेजा गया है, जहां उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। गुरुग्राम में चार होल्डिंग सेंटर हैं। एप से करते हैं घर पर बातचीत गुरुग्राम रहने वाले अवैध बंगलादेशी IMO, स्नैप चैट जैसे एप के माध्यम से अपने परिवार वालों से बात करते हैं। IMO एप भारत में बैन है, लेकिन ये अपने मोबाइल में इंस्टॉल करके लाते हैं या फिर लिंक मंगवा लेते हैं। पुलिस जब भी अपनी कोई ड्राइव चलती है तो उन जगहों पर पुलिस की टीम रेड करती है, जहां पर अवैध-बांग्लादेशी के छिपे होने की जानकारी मिलती है। डॉक्यूमेंट की जांच करवाती है पुलिस एक बार जब पुलिस किसी को पकड़ती है, तो उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की जाती है। कई के दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं और कई के पास से बांग्लादेश का कार्ड भी बरामद हुआ है। एक बार जब यह तय हो जाता है कि सामने वाला अवैध तरीके से देश में घुसा है, तो फिर पुलिस उन्हें विदेशी पंजीकरण कार्यालय (FRRO) की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट करती है। क्या है डंकी रुट पुलिस सूत्रों के मुताबिक घुसपैठ में जुटे सिंडिकेट दो तरीके से काम करते है। इसका एक तार बांग्लादेश में जुड़ा हुआ होता है। बांग्लादेश का जो मॉड्यूल होता है वह वहां पर उन लोगों से बात करता है, जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते है। फिर उनसे अपना कमीशन लेकर बंगलादेशी मोड्यूल उन्हें बॉर्डर पार करवाती है। भारत में एंट्री कर लेने के बाद मॉड्यूल दो अवैध घुसपैठियों को किसी तरीके से पास के रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचता है। जहां से उन्हें दिल्ली एनसीआर की तरफ भेज दिया जाता है। इसके बाद ये लोग गुरुग्राम आकर झुग्गी डालकर या पहले से मौजूद व्यक्ति की मदद से किराए पर रहने लग जाते हैं। साथ ही कूड़े बिनना और कबाड़ इकट्ठा करना जैसे काम करते हैं। शुरुआत में ज्यादातर अवैध घुस पैठी यही काम करते हैं।
गलत हिरासत में लेने का आरोप
शहर में दस साल से कचरा इकट्ठा कर रहे जहीर इस्लाम ने बताया कि पुलिस ने उन्हें पांच दिन पहले पकड़ा था. इस्लाम ने कहा कि हमें यह नहीं बताया गया कि हमें क्यों हिरासत में लिया गया है। पकड़े गए सभी लोग कंकरोला और पंचगांव गांवों के आसपास के घरों से कचरा इकट्ठा करते हैं। पश्चिम बंगाल की रहने वाली अंजू खातून काफी भयभीत है। उसके पति को पुलिस ने अवैध प्रवासियों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्र में भेज दिया है। कई बंगाली भाषी लोग अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए पुलिस के चल रहे अभियान से भयभीत हैं।
असम के समीनुल इस्लाम ने बताया कि वह पिछले 15 सालों से बलियावास में रह रहे हैं और गुरुग्राम को अपना घर मानते हैं। उनकी पत्नी और दो बच्चे भी यहीं हैं। उन्होंने कहा कि अचानक हमें अवैध बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है। हमारे कई रिश्तेदारों को सामुदायिक केंद्रों में नज़रबंद रखा गया है, जबकि उनके पास नागरिकता के पहचान पत्र भी हैं। हम भारतीय हैं, अपराधी नहीं। पुलिस चला रही है अभियान इस बारे में जिला उपायुक्त अजय कुमार का कहना है कि पुलिस अवैध प्रवासियों को लेकर अभियान चला रही है। कितने लोगों के डॉक्यूमेंट जांचे जा रहे हैं, इसकी संख्या का पता करके ही कुछ बताया जा सकता है। बंग्लादेशियों को डिपोर्ट किया जाएगा इस बारे में पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि आठ बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान हुई है। इसके अलावा जिन लोगों को डिटेन किया गया है, उन्हें होल्डिंग सेंटरों में सुरक्षित रखा गया है और उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। सभी केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी सुनिश्चित की गई है। किसी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हो रहा है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है, इसलिए इससे ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की जा सकती।
गुरुग्राम में छह साल से छिपकर रह रहे बंगलादेशी:जंगल और पहाड़ों का डंकी रूट, पहले कूड़ा बीनने और मजदूरी करते हैं
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