ग्रेटर नोएडा में गंदा पानी होगा स्वच्छ, हर STP में लगेगा नया फिल्टर सिस्टम

by Carbonmedia
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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब अपने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) को तकनीकी रूप से और भी बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के निर्देशों का पालन करते हुए सभी एसटीपी में अतिरिक्त बेहतर फिल्ट्रेशन सिस्टम जोड़ा जाएगा, जिससे शोधित पानी को और भी स्वच्छ बनाया जा सकेगा.
फिलहाल ग्रेटर नोएडा में चार प्रमुख एसटीपी कार्यरत हैं. बादलपुर (2 एमएलडी), कासना (137 एमएलडी), ईकोटेक-2 (15 एमएलडी) और ईकोटेक-3 (20 एमएलडी). वर्तमान में इन संयंत्रों से निकलने वाले ट्रीटेड वाटर में फीकल कॉन्टेंट लगभग 230 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जिसे एनजीटी ने घटाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम करने का निर्देश दिया है. इसके लिए टीडीएस, बीओडी और सीओडी जैसे मानकों को भी पीने योग्य पानी के स्तर के आसपास लाना अनिवार्य होगा.
IIT दिल्ली DPR तैयार करेगा
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनजी रवि कुमार के निर्देश पर सीवर विभाग ने इस तकनीकी सुधार के लिए आईआईटी दिल्ली से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. डीपीआर अगले सप्ताह तक उपलब्ध होने की संभावना है. तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, इस अपग्रेड के तहत प्रत्येक एमएलडी पर लगभग 20 लाख की लागत आने का अनुमान है.
त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली लागू होगी
सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया कि नई प्रणाली लागू होने के बाद ग्रेटर नोएडा के एसटीपी ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट में बदल जाएंगे, यानी यहां त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली लागू होगी. इससे न केवल जल की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार होगा, बल्कि यह ट्रीटेड वाटर औद्योगिक उत्पादन और पुनः उपयोग के लिए भी पूरी तरह अनुकूल हो जाएगा.उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी अपग्रेडेशन के बाद जल प्रदूषण को रोकने में भी बड़ी मदद मिलेगी। इस पानी का उपयोग निर्माण कार्यों, उद्योगों, बागवानी और यहां तक कि फ्लशिंग जैसे कार्यों में किया जा सकेगा, जिससे ग्रेटर नोएडा में पेयजल स्रोतों पर दबाव कम होगा.
पर्यावरण सरंक्षण के लिए अनुकूल
सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी है. प्राधिकरण का प्रयास है कि ट्रीटेड वाटर को और स्वच्छ बनाया जाए, ताकि इसका इस्तेमाल औद्योगिक व व्यावसायिक कार्यों में हो सके. यह योजना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम मानी जा रही है, बल्कि यह जल और विकास की ओर ग्रेटर नोएडा की मजबूत पहल भी साबित होगी.
एसटीपी क्षमता
बादलपुर –2 एमएलडीकासना –137 एमएलडीईकोटेक-2 –15 एमएलडीईकोटेक-3 –20 एमएलडीग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी है. आईआईटी दिल्ली से डीपीआर बनवाई जा रही है. प्राधिकरण की कोशिश है कि ट्रीटेड वाटर को स्वच्छ बनाया जा सके. इस पानी का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादनों के लिए भी किया जा सकेगा.

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