क्या मंदिर में मोबाइल ले जाना वाकई गलत होता है?

by Carbonmedia
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मंदिर एक पवित्र स्थान है, जहां हिंदू धर्म के लोग पूजा, प्रार्थना, अनुष्ठान, ध्यान और दर्शन आदि करते हैं. मंदिर को दैवीय निवास और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. मंदिर में पवित्रता, शुद्धता और शांति बनाए रखने के लिए कई चीजों को मंदिर के भीतर ले जाने की मनाही होती है.
अगर बात करें मोबाइल फोन की तो डिजिटल दौर में मोबाइल हर किसी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. लेकिन बात अगर धार्मिक स्थल और खासकर मंदिर की हो तो ऐसे में शुद्धता और पवित्रता को लेकर कई सवाल मन में उठते हैं कि, क्या मंदिर के भीतर फोन लेकर जाना सही होगा. कहीं मंदिर में फोन लेकर जाना अशुभ या अनुचित तो नहीं. आइये धार्मिक और शास्त्रीय दृष्टि से जानते हैं आखिर मंदिर में फोन लेकर जाना सही है या गलत.
धार्मिक दृष्टि से मंदिर को ईश्वर का स्थान माना जाता है. इसलिए यहां ध्यान, भक्ति और एकाग्रता की आवश्यकता होती है, जबकि फोन के इस्तेमाल से एकाग्रता भंग होती है. पास में फोन रहने पर आपकी नजर बार-बार फोन पर ही टिकी रहेगी, जिससे कि पूजा-पाठ या ध्यान में बाधा उत्पन्न होगी.
शास्त्रों की बात करें तो, शास्त्र के नीति नियम सदियों पहले बनाए गए हैं जब आप, हम और मोबाइल भी नहीं थे. इसलिए प्राचीन शास्त्रों में मोबाइल को लेकर कोई उल्लेख मिलना संभव नहीं है. हालांकि कुछ श्लोक में इस प्रकार के व्यवहारिक नियमों का उल्लेख मिलता है-
“शौचाच मनः संयमो भक्तिः, शुद्ध वस्त्रं समाहितः।तेनैव देवपूजा कार्यं, धर्मोऽयं सनातनः॥”
यानी- देव पूजन में मानसिक एकाग्रता, शुद्धता और अनुशासन जरूरी है. इससे यह स्पष्ट होता है भगवान की पूजा करते समय ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए या कोई वस्तु पास नहीं रखनी चाहिए, जिससे कि एकाग्रता और शुद्धता भंग हो.
मोबाइल में रिंग टोन, नोटिफिकेशन आदि की ध्वनि धार्मिक माहौल को अशुद्ध कर सकती है. इसकी ध्वनि से ना सिर्फ आपका बल्कि मंदिर में मौजूद अन्य श्रद्धालुओं का ध्यान भटकता है. इसलिए कई धर्मगुरु मानते हैं कि मोबाइल फोन से धार्मिक कार्य प्रभावित होते हैं.
क्या है समाधान
मंदिर में मोबाइल लेकर जाना सही है या गलत इसके धार्मिक और शास्त्रीय दृष्टि से सही या गलत पक्ष अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन इस बात से कतई इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि आधुनिक समय में या डिजिटल दौर में भक्ति का तरीका भी बदल रहा है. यहां तक कि भगवान के ऑनलाइन दर्शन और पूजन की व्यवस्था भी है. कुछ मंदिरों में भले ही फोन लेकर जाना वर्जित है, लेकिन कुछ मंदिरों में मनाही नहीं है. भक्त मोबाइल लेकर जाते हैं और फोटो-वीडियो के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक व धार्मिक यात्रा को यादगार बनाते हैं.
साथ ही आजकल कई मंदिरों में डिजिटल दान या सहयोग की व्यवस्था भी है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि तकनीक ने भक्ति को सरल, सुलभ और व्यापक भी बनाया है. लेकिन मंदिर में मोबाइल ले जाने को लेकर हमेशा ही पूजा-पाठ की पवित्रता और पारंपरिकता पर सवाल उठते हैं. ऐसे में समाधान क्या है, कैसे हम डिजिटल दौर की भक्ति में मंदिर दर्शन या पूजा-पाठ के दौरान शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखें?  
कर सकते हैं ये काम

अगर आप धार्मिक स्थल या मंदिर में मोबाइल लेकर जाते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि मोबाइल फोन साइलेंट या स्विच ऑफ हो.
मंदिर में दर्शन, ध्यान, मंत्र जाप या पूजा-पाठ के दौरान बार-बार फोन निकालकर मैसेज या नॉटिफिकेशन न देखें.
कई मंदिरों में फोन जमा कराने के लिए मोबाइल काउंटर बने होते हैं, आप वहां अपने फोन जमा करवा सकते हैं.
कुछ मंदिर में फोन लेकर जाने पर मनाही नहीं होती तो वहीं कुछ मंदिर में फोन वर्जित होते हैं. ऐसे में आपको मंदिर प्रशासन की नीतियों का पालन करना चाहिए.
QR कोड से अगर मंदिर में दान कर रहे हैं तो ऐसे में मोबाइल का उपयोग सिर्फ दान या सहयोग के उद्देश्य से करें. लेकिन यह ध्यान रखें कि इससे आपकी पूजा प्रभावित न हो.

किन मंदिरों में वर्जित है मोबाइल फोन
देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां मोबाइल ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध है. जैसे पद्मनाभस्वामी मंदिर, वैष्णो देवी, तिरुपति, दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, उज्जैन का महाकाल मंदिर, अयोध्या राम मंदिर आदि. बता दें कि कर्नाटक मे लगभग 35 हजार से अधिक मंदिर ऐसे हैं, जहां मंदिर में मोबाइल लेकर जाने पर प्रतिबंध है.
FAQ
Q: क्या मंदिर में मोबाइल ले जाना पाप है?
A: नहीं, मंदिर में मोबाइल लेकर जाना पाप नहीं है. लेकिन इससे पूजा में विघ्न पड़ता है.
Q: क्या मंदिर में मोबाइल साइलेंट पर रखकर ले जा सकते हैं?
A: हां, अगर मंदिर में मोबाइल वर्जित नहीं है तो आप साइलेंट या स्विच ऑफ करके ले जा सकते हैं.
Q: मंदिर में क्या-क्या नहीं ले जाना चाहिए?
A: मंदिर में चमड़े से बनी वस्तुएं, नुकीली चीजें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि नहीं ले जाना चाहिए.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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