राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबाले के बयान के बाद समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता पर शुरू हुई चर्चा अब थम गई है. संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार की ओर से इस पर जवाब दिया गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि इन दोनों ही शब्दों को हटाने के लिए न तो कई संवैधानिक प्रक्रिया है और न सरकार का कोई इरादा है.
उन्होंने बताया कि सरकार का आधिकारिक रुख है कि फिलहाल संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्दों को हटाने या उन पर पुनर्विचार करने की कोई योजना या मंशा नहीं है. प्रस्तावना में संशोधन से जुड़ी किसी भी चर्चा के लिए व्यापक विचार-विमर्श और सर्वसम्मति की आवश्यकता होगी, लेकिन इस समय सरकार ने इन प्रावधानों में कोई बदलाव करने की कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने क्या बताया ?केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में लिखित जवाब में यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई चर्चाएं कुछ संगठनों द्वारा हुई हैं, लेकिन सरकार की ओर से इसको लेकर अभी तक ऐसा कोई भी ऐलान नहीं किया गया है. इस मामले में सरकार कोई बदलाव करने की तैयारी में नहीं है और न ही कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
दत्तात्रेय होसबाले के बयान को लेकर मचा था बवालबता दें कि इस पूरे मामले की शुरूआत RSS के जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबाले के उस बयान के बाद हुई थी, जिसमें उन्होंने संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग पर विचार करने के लिए कहा था. उन्होंने संविधान की प्रस्तावना को लेकर सवाल किए थे और कहा था कि भारतीय संविधान में 1976 में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जोड़े गए थे.
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