सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए पूरे समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि जो भी महिला आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे अपने पतियों से अपने गुजारा भत्ते के लिए बड़ी रकम मांगने के बजाए खुद आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करें. कोर्ट ने यह बात विशेषकर तलाक के उन मामलों को लेकर कही है, जिनमें दंपति की शादी हुए बेहद कम समय हुआ हो.
बार और बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी एक हाई-प्रोफाइल गुजारा भत्ता (एलीमनी) मामले की सुनवाई के दौरान आई है. इस मामले में शामिल महिला एक आईटी प्रोफेशनल थीं और उनके पास एमबीए की डिग्री भी थी. महिला की शादी हुए मात्र 18 महीने ही बीते थे. महिला ने अपने पति से अलग होकर गुजारा भत्ता के तौर पर 12 करोड़ की बड़ी रकम, मुंबई में एक महंगा अपार्टमेंट और एक बीएमडब्ल्यू कार की मांग की थी. महिला की इस मांग के बारे में सुनकर कोर्ट में मौजूद लोग हैरान रह गए.
मुख्य न्यायाधीश समेत तीन जजों की बेंच ने की मामले पर की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी. अंजारिया की तीन जजों की बेंच ने की. CJI बीआर गवई ने इस मामले की सुनवाई के दौरान महिला की याचिका पर टिप्पणी करते हुए उनके एजुकेशनल और प्रोफेशनल बैकग्राउंड को भी रेखांकित किया और कहा, “आप एक आईटी प्रोफेसनल हैं. आपने एमबीए भी किया है. बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में आपकी डिमांड है तो आप काम क्यों नहीं करतीं हैं?”
सीजेआई ने महिला की याचिका पर उठाए सवाल
CJI गवई ने दंपति की शादी के कम समय को ध्यान में रखते हुए महिला की ओर से मांगी गई संपति और गुजारा भत्ते पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “यह शादी मात्र 18 महीने ही चली और आप हर महीने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग कर रही हैं?”
CJI ने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या यह बात कहीं से भी सही है कोई व्यक्ति इतने हाई स्टैंडर्ड की जिंदगी चाहे, लेकिन उसके लिए बिना खुद को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश किए?”
महिला ने दिया जवाब, तो कोर्ट ने दिए दो विकल्प
सीजेआई के सवाल पर महिला ने कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि उनके पति अमीर हैं और उन्होंने स्किज़ोफ्रेनिया जैसे मानसिक रोग के आधार पर शादी को रद्द करने की याचिका दाखिल की थी. महिला का जवाब सुनने के बाद कोर्ट ने उन्हें दो विकल्प दिए. कोर्ट ने कहा, “या तो वह किसी भी कानूनी दांव-पेच से मुक्त एक फ्लैट को स्वीकार कर लें या फिर एकमुश्त 4 करोड़ की रकम लेकर यह समझौता कर लें.”
बार और बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई ने अपनी बात को दोहराते हुए महिला से कहा, “आप पढ़ी-लिखी हैं. आपको दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. आपको खुद कमाना चाहिए और इज्जत के साथ अपनी जीवन जीना चाहिए.”
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