निजी कंपनी की पंजाबी जूती से मिलती-जुलती सैंडल पर विवाद शुरू, पहले कोल्हापुरी चप्पल पर भी हो चुका विवाद

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | अमृतसर विदेश की एक मशहूर कंपनी ने पंजाबी जूती से मिलती-जुलती एक सैंडल पेश की है, जिसका पंजाब के कारीगरों ने विरोध जताया है। इसे लेकर विवाद भी खड़ा हो गया। पंजाब के कारीगरों ने कहा कि यह पंजाबी जूती कंपनी को किसी भी कीमत पर बेचने नहीं देंगे। पंजाबी जूती बेचने को लेकर कंपनी ने पंजाब के कारीगरों का कोई भी जिक्र नहीं किया है। कंपनी इस पंजाबी जूती को 50 हजार से एक लाख रुपए से अधिक के दाम में बेचेगी। कंपनी पर आरोप है कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत और कारीगरों की मेहनत का श्रेय लिए बिना उनके डिजाइन का इस्तेमाल कर रही है। इससे पहले भी उक्त कंपनी ने कोल्हापुरी चप्पलों का डिजाइन पेश किया था। उस चप्पल को भी कंपनी ने करीब एक लाख रुपए में बेचा था। यह कोल्हापुरी चप्पल वैसे तो महाराष्ट्र में ज्यादा मशहूर है और इसके अलावा कर्नाटक में भी इसका काफी क्रेज है। कंपनी की ओर से जब यह चप्पल पेश की गई तो दोनों ही राज्यों ने विरोध जताया था और साफ कहा था कि उनके कारीगरों द्वारा की गई मेहनत कंपनी ने अपना टैग लगाकर बेचना शुरु कर दिया, जोकि गलत है। इसके बाद विवाद इतना बढ़ा कि कंपनी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। समाज सेवक इंजीनियर पवन कुमार शर्मा का कहना है कि कंपनी अब पंजाब के कारीगरों का रोजगार छीनना चाहती है। कंपनियों की एक आदत सी बन चुकी है कि वह अलग-अलग राज्यों में बनने वाले खास चीजों को कॉपी करके उन्हें बेच रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने पहले कोल्हापुरी चप्पल बेचने की कोशिश की, जोकि गलत है। उसका विरोध हुआ तो उस फैसले को वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि कोल्हापुरी चप्पल को महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार की ओर से जीआई का टैग भी है लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने इसे कॉपी करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि पंजाबी जूती को चाहे जीआई का टैग नहीं है, लेकिन जिसका नाम ही पंजाब से जुड़ा हुआ है, उसे टैग की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाबी जूती पंजाब और पाकिस्तान से मशहूर है। कंपनी द्वारा इसकी कॉपी करके पंजाब के कारीगरों के साथ अन्याय करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि थोड़ा बहुत बदलाव करके वह जूती को अपना नाम देकर एक लाख से भी अधिक के दाम में बेचेगी। उनका कहना है कि अगर वह ऐसा कर रही है तो उन्हें पंजाब के कारीगरों को प्रॉपर रॉयल्टी देनी चाहिए। इतना ही नहीं पंजाब के कारीगरों आदि से इसकी परमिशन ली जाए और फिर इसे बेचा जाना चाहिए। उन्होंने पंजाब सरकार के समक्ष मांग की है कि वह इस मामले में दखल दे।

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