भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई शुक्रवार (25 जुलाई, 2025) को महाराष्ट्र के अमरावती में स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे, जहां उन्होंने अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए अपने पुराने घर का दौरा किया. इस दौरान सीजेआई बीआर गवई ने एक बड़ा बयान दिया.
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे कोई भी सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे. सीजेआई ने कहा कि मैं मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर होने के बाद कोई भी सरकारी पद स्वीकार नहीं करूंगा.
यहां मेरा आखिरी सत्कार है- सीजेआई गवई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपने भाषण में बचपन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि गांव में कई स्थानों पर मिले स्वागत से मैं अभिभूत हूं. उन्होंने आगे कहा कि ये यहां मेरा आखिरी सत्कार (सम्मान) है, क्योंकि इसके बाद मैं सत्कार स्वीकार नहीं करूंगा.
दरअसल मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद बीआर गवई पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे थे, जहां ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया. मुख्य न्यायाधीश से मिलने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. गांव के स्कूली स्टूडेंट्स ने मुख्य न्यायाधीश बीआई गवई का स्वागत सम्मान किया. इस दौरान ग्रामीणों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए.
भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं भूषण रामकृष्ण गवई
बता दें कि जस्टिस बीआर गवई ने (14 मई, 2025) को देश के 52वें सीजेआई के रूप में शपथ ली थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई थी. सीजेआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो गया था.
भूषण रामकृष्ण गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस पद पर आसीन रहे. जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे.
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