हरियाणा सांसद के बेटे ने नहीं संभाला कार्यभार:AAG नियुक्ति आदेश रद्द कर सकती है सरकार; IAS की बेटी का पीछा किया था

by Carbonmedia
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राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला की सहायक महाधिवक्ता (AAG) के पद पर नियुक्ति को लेकर उठे विवादों के बीच अब तक उन्होंने हरियाणा महाधिवक्ता (HAG) के दिल्ली स्थित कार्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक, उनका नाम 18 जुलाई की नियुक्त सूची में शामिल जरूर था, लेकिन अभी तक ऑफिस में रिपोर्ट करने की पुष्टि नहीं हुई है। इस पर किसी भी आधिकारिक स्तर पर बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में अटकलें हैं कि हरियाणा सरकार विवाद को खत्म करने के लिए उनकी नियुक्ति को निरस्त कर सकती है। AAG कैसे नियुक्त होता है? हरियाणा में AAG (अतिरिक्त महाधिवक्ता) की नियुक्ति के लिए जनवरी में एक विज्ञापन निकाला गया था। नियुक्ति की प्रक्रिया हरियाणा विधि अधिकारी अधिनियम 2016 के तहत होती है। इसमें कहा गया है कि एक चयन समिति आवेदन करने वालों की जांच करके सरकार को सिफारिश भेजती है। जांच में इस बात को देखा जाता है कि उस वकील ने अब तक कितने मामले लड़े और उसके अनुभव क्या हैं। सूत्रों के मुताबिक, विकास की नियुक्ति की सिफारिश हाईकोर्ट के दो रिटायर जजों की एक कमेटी ने की थी। इसके बाद 18 जुलाई को गृह सचिव ने उनका नियुक्ति आदेश जारी किया। उन्हें दिल्ली में हरियाणा सरकार के विधिक कार्यालय में पांच और वकीलों के साथ नियुक्त किया गया। इस प्रक्रिया में एक जरूरी बात ये है कि जो व्यक्ति आवेदन करता है, उसे ये जानकारी देनी होती है कि उसके खिलाफ कोई FIR तो नहीं है या क्या वो किसी मामले में दोषी तो नहीं ठहराया गया। लेकिन 2016 का कानून कहता है कि सिर्फ उन्हीं को रोका जाएगा जिन्हें किसी नैतिक अपराध में दोषी ठहराया गया हो। विकास बराला का वह केस, जिससे नियुक्ति पर सवाल उठ रहे.. तत्कालीन IAS की बेटी ने लगाए थे आरोप साल 2017 में तत्कालीन IAS अफसर की बेटी ने पुलिस से शिकायत की थी। युवती ने बताया था, ‘मैं रात 12:15 बजे सेक्टर-8 मार्केट से कार में घर के लिए निकली थी। फोन पर फ्रेंड से बात कर रही थी कि तभी सेक्टर-7 के पास पता चला कि एक टाटा सफारी गाड़ी मेरा पीछा कर रही है। मैंने रास्ता बदलने की कोशिश की, तो आरोपियों ने गाड़ी से रास्ता रोककर मुझे सेक्टर-26 की ओर चलने पर मजबूर कर दिया।’ गाड़ी भगाकर बचाई जान युवती ने आगे बताया कि अगले मोड पर दोबारा मुड़नें की कोशिश की, लेकिन आरोपियों ने फिर रास्ता ब्लॉक कर दिया। एक युवक गाड़ी से बाहर निकला और उसकी कार की ओर बढ़ा। इसके बाद मैंने कार रिवर्स कर राइट टर्न लिया और कार भगाई। इस बीच, मैंने 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को जानकारी दी। अपनी लोकेशन बताई। घर पर पिता को सूचना दी। पीड़िता ने बताया, ‘तभी हाउसिंग बोर्ड के पास सॉलिटेयर होटल के निकट आरोपियों ने दोबारा रास्ता ब्लॉक कर दिया। अब मेरे भागने का कोई रास्ता नहीं था। एक आरोपी गाड़ी से उतरकर मेरी तरफ आया और कार का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन सेंट्रल लॉक होने के कारण दरवाजा नहीं खुला।’ युवती ने फोन करके गिरफ्तार करवाया पीड़िता ने बताया था कि इस दौरान सूचना पर चंडीगढ़ पुलिस की PCR आ गई। पुलिस ने पीछा कर दोनों आरोपियों को हाउसिंग बोर्ड लाइट पॉइंट के पास गिरफ्तार कर लिया। युवती ने पुलिस को फोन कर दोनों को गिरफ्तार करवाया। इसके बाद FIR दर्ज हुई तो मामला चर्चा में आया। 5 महीने बाद कोर्ट से मिली थी जमानत गिरफ्तारी के बाद विकास बराला पांच महीने जेल भी बंद रहा था। इसके बाद उसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। निचली अदालत ने 4 बार जमानत याचिका खारिज कर हुई थी। इसके बाद विकास बराला के वकील ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। तब विकास को जनवरी 2018 में जमानत मिल पाई थी। वर्तमान में विकास बराला और उसका दोस्त आशीष इस मामले में जमानत पर है। जब घटना हुई, पिता सुभाष बराला प्रदेश अध्यक्ष थे 2017 में जब यह घटना हुई थी, उस समय विकास बराला के पिता सुभाष बराला बीजेपी के हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष थे। इसलिए विकास की गिरफ्तारी का मामला राजनीति गलियारों में सुर्खियां बना था। मामला तत्कालीन IAS की बेटी से जुड़ा होने की वजह से ही विकास की गिरफ्तारी हुई थी।

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