जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन The Resistance Front (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा की छाया में काम करने वाला एक फ्रंट ऑर्गनाइजेशन माना जाता है. हाल ही में अमेरिका ने टीआरएफ को ग्लोबल आतंकी संगठन घोषित किया था, जिसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था, लेकिन अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने अमेरिका में बयान दिया कि TRF का लश्कर या पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है, जो कि अब तक की कूटनीति से ठीक उलट है. सवाल है कि पाकिस्तान आखिर टीआरएफ से पल्ला क्यों झाड़ रहा है? इसके पांच अहम कारण हैं जो इस पूरे घटनाक्रम के पीछे काम कर रहे हैं.
1. भारत की एयरस्ट्राइक का डर
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था, लेकिन शहबाज शरीफ और पाक आर्मी का कहना था कि भारत ने हमारे नागरिकों पर हमला किया. अब जब अमेरिका ने टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाया है तो पाकिस्तान को एक बार फिर भारत की एयरस्ट्राइक का डर सता रहा है. इससे पहले भी भारत उरी (2016) और पुलवामा (2019) हमलों के जवाब में सर्जिकल और एयरस्ट्राइक कर चुका है.
2. ट्रंप के टैरिफ और अमेरिकी दबाव का डर
पाकिस्तान ने टीआरएफ से पल्ला इसलिए भी झाड़ लिया क्योंकि वो अमेरिका को नाराज नहीं कर सकता है. जहां अमेरिका टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर चुका है तो अब पाकिस्तान नहीं चाहेगा कि अमेरिका उस पर कोई और एक्शन ले. जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान को टैरिफ का डर भी सता रहा है.
3. अमेरिका से मिलने वाली सैन्य मदद और डिफेंस डील्स
पाकिस्तान अमेरिका से कुछ महत्वपूर्ण सैन्य उपकरण खरीदने की प्रक्रिया में है. यदि उस पर आतंकी संगठनों को समर्थन देने का आरोप प्रमाणित होता है, तो यह डील्स या तो ठप पड़ जाएंगी या फिर पूरी तरह रद्द कर दी जाएंगी.
4. FATF की ग्रे लिस्ट में दोबारा लौटने का डर
FATF (Financial Action Task Force) ने हाल ही में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया है, लेकिन यह स्थिति बेहद नाजुक है. TRF जैसे संगठन से संबंध या उसे सहन करना पाकिस्तान को फिर से निगरानी सूची में ला सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद रुक सकती है.
5. अमेरिका से लोन और निवेश
पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है. उसे IMF, वर्ल्ड बैंक और अमेरिका से प्रत्यक्ष निवेश और कर्ज की दरकार है. ऐसे में TRF का बचाव करना पाकिस्तान के कूटनीतिक हितों को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है. अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार से मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की सराहना की थी, लेकिन यह समर्थन तभी जारी रह सकता है जब पाकिस्तान अपने रुख में बदलाव दिखाए.
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