कांग्रेस नेता उदित राज ने शनिवार (26 जुलाई 2025) को कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए “दूसरे अंबेडकर” साबित होंगे. उदित राज ने कहा कि ओबीसी समाज को राहुल गांधी के बयानों का समर्थन करना चाहिए.
उदित राज ने ANI से बात करते हुए कहा, “तेलंगाना में जाति जनगणना समाज का एक्स-रे है. राहुल गांधी इसे पूरे देश में लागू करना चाहते हैं. उनके विचार दूरदर्शी हैं. अगर दलित और पिछड़े वर्ग आगे आएं तो हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. समाज में फैली असमानता कम होगी. अगर ओबीसी राहुल गांधी की बात समझ जाएं तो वह उनके लिए दूसरे अंबेडकर साबित होंगे.”
इतिहास बार-बार मौके नहीं देता- उदित राज
राज ने एक्स पर पोस्ट किया, “ओबीसी को यह सोचना होगा कि इतिहास बार-बार तरक्की के मौके नहीं देता. उन्हें तालकटोरा स्टेडियम में राहुल गांधी द्वारा कही गई बातों का पालन और समर्थन करना चाहिए. अगर वे ऐसा करते हैं, तो राहुल गांधी उनके लिए दूसरे अंबेडकर साबित होंगे.”शुक्रवार को, राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि यूपीए सरकार के दौरान जाति जनगणना न कराना एक भूल थी और कहा कि वह इसे सुधारने के लिए दृढ़ हैं.
क्या कहा था राहुल गांधी ने?
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ओबीसी के ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में बोलते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि वह पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के मुद्दों को समझने में विफल रहे, जबकि दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के मुद्दों को समझने में उन्हें दिक्कत हुई, जहां उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने सराहनीय काम किया था. उन्होंने कहा कि मैं अपने काम के बारे में सोचता हूं, मैंने कहां अच्छा किया और कहां कमजोर रहा, और मुझे दो-तीन बातें नजर आती हैं. भूमि अधिग्रहण विधेयक, मनरेगा, भोजन का अधिकार, आदिवासी विधेयक और नियमगिरि संघर्ष – ये सभी काम मैंने अच्छे से किए. जहां तक आदिवासियों, दलितों और महिलाओं के मुद्दों का सवाल है, मुझे वहां अच्छे अंक मिलने चाहिए. मैंने अच्छा काम किया,”
कांग्रेस पार्टी और मेरे काम में एक कमी रह गई- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और मेरे काम में एक कमी रह गई. मैंने ओबीसी समुदाय की उस तरह रक्षा नहीं की जैसी मुझे करनी चाहिए थी. इसकी वजह यह है कि मैं उस समय ओबीसी मुद्दों को गहराई से नहीं समझ पाया था. दस-पंद्रह साल पहले, मैं दलितों की मुश्किलों को समझता था. उनके मुद्दे दिखाई देते हैं आसानी से समझ में आते हैं, लेकिन ओबीसी की समस्याएं छिपी रहती हैं. अगर मुझे उस समय आपके मुद्दों और समस्याओं के बारे में पता होता तो मैं उसी समय जाति-आधारित जनगणना करवा लेता. यह मेरी गलती थी, जिसे मैं सुधारने जा रहा हूं.”
उन्होंने आगे कहा कि एक तरह से, यह अच्छा ही हुआ कि ऐसा हुआ, क्योंकि अगर मैंने उस समय जाति-आधारित जनगणना करवाई होती, तो आज जैसी स्थिति नहीं होती. उन्होंने आगे कहा कि दलित, पिछड़े वर्ग, आदिवासी और अल्पसंख्यक देश की 90 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, फिर भी उन्हें केंद्रीय बजट सहित प्रमुख निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से बाहर रखा जाता है.
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