बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत 99.8 फीसदी मतदाताओं को कवर किया जा चुका है. चुनाव आयोग ने रविवार (27 जुलाई 2025) को बताया कि पहले चरण के समापन के बाद 7.24 करोड़ (91.69 फीसदी) मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हो गए हैं. आयोग ने बताया कि 36 लाख लोग या तो अपने पिछले पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या फिर उनका कोई पता ही नहीं है.
22 लाख मतदाता मृत पाए गए
चुनाव आयोग के मुताबिक लगभग 7 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान हुई है, जो एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं. लगभग 1.2 लाख मतदाताओं के एन्यूमरेशन फॉर्म (गणना प्रपत्र) अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं. करीब 22 लाख मृत मतदाताओं की सूचना प्राप्त हुई. मुख्य तौर पर जानकारी सामने कि करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम काटेंगे और करीब 7 करोड़ 24 लाख मतदाताओं ने अपना फॉर्म भरा जिनके नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में आएंगे.
‘आपत्ति दर्ज करने के लिए 1 महीने का है समय’
चुनाव आयोग ने कहा, “जब किसी भी नाम को गलत तरीके से शामिल या गलत तरीके से बाहर करने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक का पूरा एक महीना उपलब्ध है तो वो अभी से इतना हंगामा क्यों मचा रहे हैं? उन्होंने (राजनीति दल) अपने 1.6 लाख बीएलए को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए क्यों नहीं कहा?”
ड्राफ्ट सूची अंतिम सूची नहीं- चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने कहा, “कुछ लोग यह धारणा क्यों बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि ड्राफ्ट सूची ही अंतिम सूची है, जबकि ऐसा नहीं है, जैसा कि एसआईआर के आदेशों में है?” वैसे लोग जा अपने पते पर नहीं मिले उसे लेकर चुनाव आयोग ने कहा, “ये लोग या तो दूसरे राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता बन गए हैं या फिर वहां मौजूद थे.”
चुनाव आयोग ने कहा, “दूसरा कारण यह था कि वे किसी न किसी कारण से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक नहीं थे. इन मतदाताओं की वास्तविक स्थिति एक अगस्त तक इन फॉर्म की जांच के बाद पता चलेगी.”
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‘अभी से इतना हंगामा क्यों, आपत्ति दर्ज करने के लिए 1 महीने का है समय’, बिहार SIR पर बोला चुनाव आयोग
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