पंजाब में पठानकोट जिले के जंगल गांव के 43 वर्षीय रमन सलारिया खेतीबाड़ी में किसानों को नई राह दिखा रहे हैं। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से वर्ष 2005 में सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद 14 साल नोएडा की एक कंपनी में नौकरी करने वाले रमन ने 2019 में खेती के लिए जॉब छोड़ दी। वह धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की जगह ड्रैगन फ्रूट और स्ट्राबेरी उगा रहे हैं। अब वह अपने खेतों में तीन रंग का ताईवानी तरबूज और अर्जेंटीनियन प्याज भी उगा रहे हैं। अपनी अत्याधुनिक खेती के जरिये वह इलाके और गांव के कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं। रमन मानते हैं कि वह घर बैठे नौकरी से ज्यादा कमाई कर रहे हैं। रमन के अनुसार, नौकरी के दौरान उनके मन में अक्सर परिवार के साथ रहने का ख्याल आता था। इसी दौरान उन्होंने एक दिन सोचा कि घर में रहकर, पारंपरिक खेती से हटकर कौन से फल या फसल की खेती की जा सकती है, जिसकी डिमांड भी हो और कमाई भी बेहतर हो। कई दिन की रिसर्च और बागवानी अधिकारियों से सलाह मशविरा करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गुजरात में भुज जाकर ड्रैगन फ्रूट के पौधे ले आए। इंजीनियरिंग कर चुके रमन अपनी हर फसल का डेटा रखते हैं और देखते हैं कि उसका आउटपुट कैसा रहा? फसलों के डेटा एनालिसिस से आगे की रणनीति इसी डेटा के एनालिसिस से वह यह फैसला भी करते हैं कि आगे उन्हें कौन सी फसल बदलनी है और कौन सी को कंटीन्यू करना है। इसके लिए वह खेतीबाड़ी महकमे के अधिकारियों और इंटरनेट से भी जानकारी जुटाते हैं। रमन के परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी और 8 साल का बेटा है। उनकी आधुनिक खेतीबाड़ी में पिता कई तरह से मदद करते हैं। इस समय रमन डेढ़ एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। वह ड्रैगन फ्रूट के पौधों की लाइनों के बीच प्याज, लहसुन या पपीता लगाकर मल्टी-क्रॉपिंग कर रहे हैं। धान-गेहूं से दोगुना इनकम देता है ड्रैगन फ्रूट ड्रैगन फ्रूट की सितंबर-अक्टूबर तक तीन बार तुड़ाई होती है। इसका पौधा एक बार लगा लेने के बाद अगले कई बरसों तक फसल देता है। धान-गेहूं की जगह इससे दोगुना तक इनकम हो सकती है। ड्रैगन फ्रूट का फल 200 से 300 रुपए प्रतिकिलो तक बिकता है। हालांकि, इसका भाव कम-अधिक होता रहता है। इसकी खेती पर खर्च वगैरह निकालने के बाद प्रति एकड़ 3-4 लाख रुपए तक बच जाता है। उनके देखादेखी पटियाला में रहने वाला उनका एक दोस्त उनसे पौधे ले गया और इसकी खेती करने लगा। दूसरे लोग भी इस फसल से जुड़ी जानकारी लेने उनके पास आते रहते हैं। रमन का मानना है कि पंजाब में ड्रैगन फ्रूट की खेती बड़े पैमाने पर करनी चाहिए। यहां का मौसम इस फसल के लिए एकदम अनुकूल है। रमन ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के बाद पिछले 4 साल से वह 3 एकड़ में स्ट्राबेरी उगा रहे हैं। इससे प्रति एकड़ 2 लाख से 3 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। तीन एकड़ में अर्जेंटीनियन प्याज की खेती की है। यह प्याज खाने में मीठा होता है और एक प्याज का वजन 400 से 500 ग्राम तक रहता है। होटल इंडस्ट्री में इसकी अच्छी-खासी मांग है। अब उन्होंने ताईवान से बीज मंगवाकर रंगीन तरबूजों की खेती भी शुरू की है। गर्मियों में इसकी अच्छी मांग रहती है। शादी के सीजन के साथ-साथ सालभर इसकी डिमांड रहती है। ताईवानी तरबूज तीन रंग के होते हैं- बाहर से पीला तो अंदर से लाल, बाहर से हरा और अंदर से पीला और बाहर से हरा और अंदर से लाल। यह 100 फीसदी मीठा होता है। उन्होंने सेब और नाशपाती के भी पौधे लगाए हैं।
इंजीनियर की जॉब छोड़कर मल्टीक्रॉपिंग में कमाल:स्ट्राबेरी-ताईवानी तरबूज और अर्जेंटीनियन प्याज से लाखों की इनकम, पंजाब के रमन ने दिखाई नई राह
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