चंडीगढ़ पुलिस के 2 बड़े डीएसपीज के साथ पीएसओ ड्यूटी में तैनात रहे कांस्टेबल युद्धवीर की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। पुलिस जांच में उसके मोबाइल फोन की लोकेशन महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और राजस्थान की आई है। इसके अलावा उसके बैंक अकाउंट की डिटेल के लिए भी पुलिस द्वारा बैंक से संपर्क किया जा रहा है। अगर पुलिस जांच में एक माह में 25 दिन की फरलो की शिकायत साबित हो जाती है तो जांच के दायरे में वो 2 डीएसपीज भी आ सकते हैं और उन दोनों को भी पुलिस पूछताछ के लिए बुला सकती है, जिनके पास फरलो के दौरान कांस्टेबल युद्धवीर की पोस्टिंग थी। चूंकि उसकी ड्यूटी की पूरी पोल उसकी बीवी ने पूर्व डीजीपी सुरेंद्र यादव के सामने खोली थी। उसने आरोप लगाया था कि कैसे वह पीएसओ ड्यूटी में फरलो पर जाता रहा, किस-किस की मेहरबानी से। आरोप है कि महीने में 5 दिन वह चंडीगढ़ में रहता था और 25 दिन गांव में। जिस पर कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच में कांस्टेबल युद्धवीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एविडेंस के लिए उसकी पत्नी ने पीएसओ युद्धवीर के पर्सनल मोबाइल फोन की लोकेशन खंगालने की मांग की थी। जब पुलिस ने उसके मोबाइल की लोकेशन निकाली, तो अधिकतर उसके फोन की लोकेशन चंडीगढ़ की नहीं थी। इसे सेटिंग स्कैम मानकर डीजीपी ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए, ताकि सच सामने आए कि गनमैन जैसी संवेदनशील ड्यूटी के दौरान कैसे पीएसओ फरलो पर जा सकता है। इस पूरे मामले में सेटिंग के खेल को उजागर करने के लिए ही एफआईआर दर्ज की गई है। चंडीगढ़ के नए डीजीपी डॉ सागर प्रीत हुड्डा ने भी ज्वाइन कर लिया है। अब देखना है कि इस मामले कब एक्शन लिया जाता है। 7 माह से अटकी जांच कांस्टेबल युद्धवीर के खिलाफ क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज हुए 7 माह से ऊपर का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक पुलिस सिर्फ मोबाइल लोकेशन ही ट्रेस कर पाई है, जबकि पुलिस से जुड़े मामलों में पुलिस तेजी से कार्रवाई कर सबूत भी इकट्ठा करती है और 90 दिन के अंदर चालान भी पेश कर देती है। लेकिन इस मामले में पुलिस बड़े ही आराम से काम कर रही है। जबकि सूत्र बताते हैं कि जिस समय कांस्टेबल युद्धवीर की बीवी ने पूर्व डीजीपी सुरेंद्र यादव को शिकायत दी थी, उसके बाद कांस्टेबल युद्धवीर को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उस दौरान उसने बताया था कि कैसे वो कुछ दिन चंडीगढ़ में और अन्य दिन चंडीगढ़ से बाहर रहता था, ड्यूटी से फरलो कर। लेकिन उस दौरान छुट्टी नहीं बल्कि हाजिरी लगती थी। उसके बाद ही डीजीपी ने क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। पुलिस कर्मियों के वेलफेयर से जुड़ी एक संपर्क सभा में पूर्व डीजीपी सुरेंद्र यादव ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि कोई भी अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मियों को अनावश्यक फरलो पर न भेजे। अगर कोई कर्मी फरलो पर पकड़ा गया, तो उस पर और उसे भेजने वाले अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पहले भी हो चुकी हैं शिकायतें… यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी फरलो को लेकर गुमनाम चिट्ठियों के जरिए अधिकारियों तक शिकायतें पहुंचाई जा चुकी हैं। पीसीआर में तैनात रही एक महिला इंस्पेक्टर ने पहले ही एक सीक्रेट रिपोर्ट अफसरों को भेजी थी, जिसमें पूरे फरलो स्कैम का खुलासा किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह पीसीआर में तैनात कई कर्मी अफसरों की मेहरबानी से ड्यूटी से गैरहाजिर रहते हैं और उनकी हाजिरी पैसे के बल पर लगाई जाती रही। इस पर विभागीय जांच भी हुई थी और कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई थी।
चंडीगढ़ कांस्टेबल फरलो मामला 2 DSP जांच के दायरे में:महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और राजस्थान की आई लोकेशन, बीवी की शिकायत पर FIR
2