जांच रिपोर्ट और कमेटी न पर जस्टिस यशवंत वर्मा उठा रहे थे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- तो उसी समय क्यों नहीं आए कोर्ट?

by Carbonmedia
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कैश कांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपनी याचिका के साथ जांच कमेटी की रिपोर्ट भी लगाइए, उसके बाद मामला सुना जाएगा. जस्टिस वर्मा ने मामले की जांच के लिए बनाई गई तीन जजों की कमेटी के गठन पर भी सवाल उठाए हैं, जिस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर उनको आपत्ति थी तो वह उसी समय क्यों कोर्ट नहीं आए.
तीन जजों की कमेटी की रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को घर से कैश मिलने का दोषी ठहराया गया था, जिसके खिलाफ जस्टिस वर्मा ने याचिका दाखिल की और रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग की है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की इस सिफारिश का भी विरोध किया है, जिसमें उन्होंने यशवंत वर्मा को तत्काल पद से हटाने की बात कही थी.
सोमवार (28 जुलाई, 2025) को जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका लगी. जस्टिस वर्मा से जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि उन्होंने जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं देखी है और उन्हें अपनी याचिका के साथ रिपोर्ट भी लगानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि पहले रिपोर्ट लगाइए फिर उनकी याचिका वह सुनेंगे.
जस्टिस यशवंत वर्मा की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए. उन्होंने कहा, ‘मैं रिपोर्ट कोर्ट को दूंगा. आप सुनवाई टाल सकते हैं या पहले उन कानूनी सवालों को सुन लीजिए जो हम रखना चाहते हैं.’ कपिल सिब्बल ने जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाए जाने की सिफारिश पर कहा कि जजों को पद से हटाने की जो प्रक्रिया संविधान और जजेस इन्क्वायरी एक्ट में दी गई है, चीफ जस्टिस की तरफ से जांच कमेटी बनाना उसके मुताबिक नहीं है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि जजों को हटाने की शक्ति संसद को संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत दी गई है. जज को कदाचार या फिर अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है. भारत के कानून या संविधान में किसी जज को हटाने के लिए कोई और तरीका दिया गया है. कमेटी की रिपोर्ट से पहले जज के आचरण पर संसद में भी चर्चा नहीं होती है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि लेकिन इस मामले में वीडियो सार्वजनिक कर दिया गया, लोगों ने चर्चा शुरू कर दी, कमेटी भी बना दी गई, जो कि यह गलत था. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘तो आप कमेटी से यह बात कहते कि आप जांच नहीं कर सकते या कमेटी के गठन के खिलाफ उसी समय कोर्ट में आते. अब क्यों?’ उन्होंने कहा कि आप चीफ जस्टिस की किसी चिट्ठी का हवाला दे रहे हैं. उसे भी रिकॉर्ड पर नहीं रखा. ऐसे किस तरह सुनवाई होगी.
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजने का भी  विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ही जजों को नियुक्त करते हैं. संवैधानिक प्रमुख हैं तो उन्हें जानकारी देने का विरोध क्यों किया जा रहा है. कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि वह जांच रिपोर्ट और चीफ जस्टिस की चिट्ठी भी रिकॉर्ड में रखेंगे. जस्टिस दीपांकर के सवालों पर कपिल सिब्बल ने कहा कि वह राष्ट्रपति को जानकारी देने का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन घर से मिले पैसे जस्टिस वर्मा के थे, ऐसा क्यों मान लिया गया. इसकी तो जांच होनी चाहिए थी कि पैसे किसके थे
(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)

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