बंगाल की खाड़ी में मंगलवार (29 जुलाई 2025) के तड़के 6.3 तीव्रता का भूकंप आया. यह भारतीय समयानुसार 00:11:50 बजे आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप का केंद्र धरती के 10 किलोमीटर नीचे था. तटीय क्षेत्रों या द्वीपों पर भूकंप के प्रभाव का आकलन अभी भी किया जा रहा है, हालांकि अभी तक किसी नुकसान या हताहत होने की रिपोर्ट नहीं मिली है.
यह भूकंप गहराई में कम होने के कारण विशेष रूप से खतरनाक माना जाता है, क्योंकि उथले भूकंप अधिक कंपन पैदा करते हैं और सतह पर तेज़ असर छोड़ते हैं. तटीय क्षेत्रों पर प्रभाव का आकलन अभी भी जारी है.
अंडमान-निकोबार में दूसरा झटका बंगाल की खाड़ी के भूकंप के कुछ ही मिनटों बाद रात 12:12 बजे एक और शक्तिशाली भूकंप ने निकोबार द्वीप समूह को झकझोर दिया. इस बार की तीव्रता 6.5 थी, जो कि काफी शक्तिशाली मानी जाती है. संयुक्त राज्य अमेरिका भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) की रिपोर्ट के अनुसार, यह भूकंप इंडोनेशिया के आचे प्रांत के सबांग से 259 किलोमीटर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में आया और इसकी भी गहराई 10 किलोमीटर ही थी. भूकंप के झटके आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस किए गए, लेकिन किसी प्रकार के नुकसान की तत्काल रिपोर्ट नहीं मिली है. राहत की बात ये है कि इस भूकंप से सुनामी का कोई खतरा नहीं है. यह जानकारी राहत देती है, क्योंकि गहराई कम और समुद्र के भीतर इस तरह के झटके अक्सर सुनामी को जन्म दे सकते हैं.
क्यों बार-बार कंपन कर रही है धरती?भूकंप एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचलों से पैदा होता है. बंगाल की खाड़ी और अंडमान-निकोबार क्षेत्र सिस्मिक जोन V में आते हैं, जो भारत का सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र है. यह इलाका इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के टकराव क्षेत्र में आता है. जब इन प्लेटों में तनाव बनता है और वह अचानक मुक्त होता है तो धरती कांपती है. इसे ही भूकंप कहा जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार हलचलों का यह मतलब हो सकता है कि भविष्य में और अधिक झटके या आफ्टरशॉक्स (post-earthquake tremors) भी देखने को मिल सकते हैं.
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