क्रिकेट दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है, पहले नंबर पर फुटबॉल आता है. यह खेल खासतौर पर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिण एशियाई देशों में खासा लोकप्रिय है. इस खेल का इतिहास बहुत पुराना है, जिसकी शुरुआत टेस्ट फॉर्मेट से हुई थी, फिर ODI और टी20 फॉर्मेट आए. अब विश्व में कहीं-कहीं 5 ओवर के मैच खेले जाते हैं, वहीं इंग्लैंड द हंड्रेड लीग शुरू कर चुका है जिसमें एक पारी 100 गेंदों की होती है. मगर क्रिकेट में आखिर देशों के क्रिकेट बोर्ड्स की कमाई कैसे होती है?
कैसे होती है कमाई?
चाहे द्विपक्षीय सीरीज खेली जा रही हो, ट्राई सीरीज या फिर कोई मल्टी-नेशन टूर्नामेंट. इनमें सामान्यतः टीमों की कमाई के कुछ चुनिंदा स्रोत होते हैं. सबसे पहला होता है ब्रॉडकास्टिंग राइट्स बेचकर होने वाली कमाई. अब ब्रॉडकास्टिंग और लाइव स्ट्रीमिंग राइट्स अलग-अलग बेचे जाते हैं, जिनसे एक बोर्ड कई सौ करोड़ रुपयों की कमाई कर सकता है. किसी सीरीज में टीम स्पॉन्सरशिप्स से भी अच्छी खासी कमाई कर लेती हैं. देश में जब भी कोई इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेला जाता है, उसमें स्टेडियम की टिकट सेल्स में बोर्ड की भी हिस्सेदारी होती है. ऐसे में टिकट सेल्स भी क्रिकेट बोर्ड की कमाई का बड़ा स्रोत माना जाता है.
पिछले कुछ सालों में फ्रैंचाइजी क्रिकेट का क्रेज बढ़ा है. दुनिया के अलग-अलग देशों में फ्रैंचाइजी क्रिकेट लीग खेली जाती हैं, जिनमें या तो क्रिकेट बोर्ड्स की हिस्सेदारी होती है या फिर लीगों को पूरी तरह बोर्ड ही संचालित करता है. उदाहरण के तौर पर इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का संचालन BCCI करता है. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) जितनी भी कमाई करता है, उसका कुछ हिस्सा वह अपने मेंबर देशों में बांटता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024 में बीसीसीआई ने 9,000 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी
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