गुरुग्राम में शुक्रवार सुबह तक 24 घंटों में हुई 125 मिलीमीटर की तेज बारिश के बाद हुए जलभराव ने शहर के अधिकतर रास्तों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। शहर में सड़कों पर जलभराव और गड्ढों के रूप में बारिश से हुए नुकसान के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन के दावों के बावजूद कि बारिश के बाद एक घंटे में पानी निकाल लिया जाएगा, शहर के कई हिस्सों में हालात खराब हैं। प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने भी पत्रकारों के सामने स्वीकार किया कि जलभराव को लेकर अधिकारियों से चूक हुई है। हालांकि कार्रवाई के नाम पर वे भी गोलमोल जवाब दे गए।
कई क्षेत्रों में अभी भी पानी जमा
कुछ क्षेत्रों में अभी भी पानी जमा है, वहीं अधिकतर सड़कों पर गड्ढे उभर आए हैं, जिसने निवासियों और वाहन चालकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शहर के दो दर्जन से अधिक हॉट स्पॉट्स, जैसे नरसिंहपुर, सुभाष चौक, सोहना रोड, और दिल्ली-जयपुर हाईवे की सर्विस लेन में बारिश के दौरान दो से लेकर तीन फीट तक जलभराव हो गया था।
जैकबपुरा और सेक्टर 37 जैसे इलाकों में पानी की निकासी न होने से सड़कें तालाब बन गईं। दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर घंटों तक ट्रैफिक जाम रहा, और कई वाहन पानी में डूब गए। गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड और एसपीआर रोड पर गड्ढों ने वाहन चालकों के लिए खतरा बढ़ा दिया, जहां बारिश के बाद सड़कों की बदहाल स्थिति उजागर हुई। अधिकारियों के दावे बारिश ने धोए
नगर निगम और जीएमडीए ने मानसून से पहले नालों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था के बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन हकीकत ने इनकी पोल खोल दी। पिछले महीने की बारिश में जलभराव के लिए दो अधिकारियों और तीन जूनियर इंजीनियरों को निलंबित किया गया था, लेकिन इस बार जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन खामोश है।
लोगों का आरोप, कोई ठोस काम नहीं हुए
लोगों का आरोप है कि नाले और सीवर की सफाई के लिए करोड़ों रुपए के टेंडर के बावजूद कोई ठोस काम नहीं हुआ। एक स्थानीय निवासी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हर साल बारिश में गुरुग्राम डूबता है, और प्रशासन सिर्फ बहाने बनाता है।”कई सड़कों पर जलभराव तो हट गया, लेकिन इसके बाद बने गड्ढों ने नई समस्या खड़ी कर दी। सेक्टर 14, 15, और 31 में सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे दोपहिया वाहन चालकों को खासा खतरा है।
मोहनलाल बड़ौली ने भी स्वीकारा, अधिकारियों से चूक हुई बीजेपी नेता मोहन लाल बडोली ने अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आई। नगर निगम ने कुछ क्षेत्रों में पंप लगाकर पानी निकालने की कोशिश की, लेकिन यह नाकाफी साबित हुआ।जीएमडीए द्वारा सेक्टर 68-75 और 112-115 में मास्टर स्टॉर्म वाटर ड्रेन बनाने का काम चल रहा है, जिससे भविष्य में राहत की उम्मीद है।
मौजूदा हालात ने निवासियों का सब्र तोड़ दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक उन्हें जलभराव और टूटी सड़कों की मार झेलनी पड़ेगी? प्रशासन को चाहिए कि वह केवल दावों तक सीमित न रहे, बल्कि स्थायी समाधान के लिए कदम उठाए, ताकि गुरुग्राम की साइबर सिटी की छवि बारिश में डूबने के बजाय विकास के लिए जानी जाए।
गुरुग्राम में मोहनलाल बड़ौली ने भी अधिकारियों की चूक स्वीकारी:कहीं पानी भरा, तो कहीं गड्ढों से निकलना दुभर, सड़कों और गलियों में जलभराव के निशान
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