मालेगांव विस्फोट केस का गवाह 17 साल से लापता, नहीं मिला कोई सुराग, कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

by Carbonmedia
()

साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के गवाह दिलीप पाटीदार का उनकी रहस्यमय गुमशुदगी के 17 साल बीतने के बाद भी कोई सुराग नहीं मिल सका है और इंदौर की एक अदालत उनके परिवार की गुहार पर उनकी ‘सिविल मृत्यु’ घोषित कर चुकी है. पाटीदार के परिवार के एक वकील ने शुक्रवार (01 अगस्त) को यह जानकारी दी. 
‘सिविल मृत्यु’ का मतलब क्या है?
‘सिविल मृत्यु’ का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति सात साल या इससे अधिक समय से लापता हो और उसका कोई भी सुराग न मिल सके, तो कानूनी तौर पर उसे मृत घोषित कर दिया जाता है. पाटीदार के परिजनों का कहना है कि महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के कर्मी उन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में पूछताछ के लिए 10 और 11 नवंबर 2008 की दरमियानी रात इंदौर से अपने साथ ले गए थे और अब तक पाटीदार का कोई अता-पता नहीं है.
दिलीप पाटीदार के बारे में कोई सुराग नहीं- वकील
पाटीदार के परिवार के वकील दीपक रावल ने मीडिया को बताया, ‘‘तमाम कोशिशों के बावजूद पाटीदार के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका. आखिरकार हमें उनके परिवार की ओर से स्थानीय अदालत में मुकदमा दायर करके उनकी सिविल मृत्यु घोषित करानी पड़ी ताकि इसके आधार पर उनके आश्रितों को जायज लाभ और अधिकार मिल सके.’’
दिलीप पाटीदार को सिविल मृत्यु घोषित
इंदौर की एक दीवानी अदालत ने पाटीदार की पत्नी पद्मा और उनके बेटे हिमांशु के दायर मुकदमे पर 19 दिसंबर 2018 को उनकी सिविल मृत्यु घोषित की थी. हिमांशु (21) ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस के पुलिसकर्मी उनके पिता को यह कहकर अपने साथ ले गए थे कि उन्हें गवाही के लिए ले जाया जा रहा है और बयान दर्ज करने के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन इसके बाद वह दोबारा घर नहीं लौटे. उन्होंने कहा, ‘‘बाद में एटीएस अधिकारी यही दावा करते रहे कि उन्होंने मेरे पिता को छोड़ दिया था, लेकिन इस बारे में उन्होंने हमें कभी कोई पक्की सूचना नहीं दी.”
पाटीदार के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
हिमांशु, दिलीप पाटीदार की इकलौती संतान हैं और पाटीदार की पत्नी गृहिणी हैं. पाटीदार के बेटे ने कहा, ‘‘मेरे पिता का पता लगाने के लिए मेरे परिवार ने लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन नतीजा सिफर रहा. पिता के लापता होने के बाद से मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए.’’
संदीप डांगे भी 2008 से लापता
पेशे से बिजली मिस्त्री पाटीदार, मालेगांव विस्फोट मामले के वांछित आरोपी रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी के रिश्तेदार थे. वह इंदौर में कलसांगरा के मकान में किरायेदार भी थे.कलसांगरा के बेटे देवव्रत ने कहा कि पाटीदार की तरह उनके पिता का भी पिछले 17 साल से कोई अता-पता नहीं है. इसी तरह, मालेगांव विस्फोट मामले का एक अन्य वांछित आरोपी संदीप डांगे भी 2008 से लापता है. डांगे के 88 वर्षीय पिता वीके डांगे इंदौर के लोकमान्य नगर में रहते हैं. वह भी लगातार कहते रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है कि उनका बेटा कहां है.
मालेगांव ब्लास्ट केस में 12 आरोपियों की हुई थी गिरफ्तारी
मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि कलसांगरा और डांगे को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था. मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक में धमाकों से छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment