लुधियाना में नहीं रुक रही खाद्य पदार्थों में मिलावट:जनवरी से जून तक 20 प्रतिशत से अधिक सैंपल फेल,सबसे अधिक डेयरी उत्पादों में गड़बड़ी

by Carbonmedia
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पंजाब के लुधियाना में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर सेहत विभाग की सख्ती और अभियान के बावजूद स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। खाद्य पदार्थों में गड़बड़ी पाई जा रही है। जनवरी से जून तक लिए गए खाद्य सैंपलों में से 20% से अधिक फेल हो गए। इनमें सबसे ज्यादा मिलावट दूध और डेयरी उत्पादों में पाई गई है। सेहत विभाग के अनुसार, जनवरी से जून तक कुल 324 सैंपल लिए गए, जिनमें से 299 की रिपोर्ट आ चुकी है और 25 की रिपोर्ट अभी लंबित है। इन सैंपलों में 158 दूध और डेयरी उत्पादों (जैसे घी, पनीर, दही, खोया, लस्सी) के थे, जबकि 166 अन्य खाद्य पदार्थों (जैसे मसाले, दालें, फास्ट फूड, सूखे मेवे, मिठाइयां आदि) के थे। 299 सैंपलों में से 62 फेल हो गए। दूध और डेयरी उत्पादों के 158 सैंपलों में से 48 फेल हुए, जबकि अन्य खाद्य पदार्थों के 166 सैंपलों में से 14 फेल पाए गए। बात करों डेयरी उत्पादों की यदि बात करें तो पनीर के 76 सैंपलों में से 28 फेल, दही के 11 सैंपलों में से 7 फेल, दूध के 34 सैंपलों में से 8 फेल मिले है। जिला सेहत अधिकारी (डीएचओ) डॉ. अमरजीत कौर ने बताया कि मानसून और त्योहारों के मद्देनजर सैंपलिंग बढ़ाई गई है। यदि खाद्य पदार्थ तैयार करने, परोसने या स्टोर करने की जगह पर गंदगी पाई जाती है, तो मौके पर ही चालान किया जाता है। इन मामलों में सीजेएम कोर्ट में केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाती है। लोगों से भी अपील है कि जहां कही भी गली मोहल्लों में मिलावटी सामान बिक रहा हो या कोई फैक्ट्री लगी हो तो तुरंत सेहत विभाग को सूचित करें। सितंबर से जून तक एडीसी कोर्ट में 35 मामलों में 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। सीजेएम कोर्ट में 2 केस दर्ज किए गए हैं और 10 और केस प्रक्रिया में हैं। दूध की शुद्धता जांचने का तरीका सेहत विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दूध में पानी की मिलावट जांचने के लिए एक चम्मच दूध प्लेट पर डालकर उसे झुकाएं। यदि दूध की लकीर बनती है, तो वह शुद्ध है। यदि लकीर नहीं बनती, तो उसमें पानी मिलाया गया हो सकता है। इसके अलावा, विभाग की मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन 25 दिन तक शहर में घूमकर 50 रुपये में दूध की जांच करती है। गढ़वासु, पीएयू और डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने 100 रुपए में किट तैयार की है, जिससे 10 बार जांच की जा सकती है। स्टाफ और संसाधनों की कमी
सेहत विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जिले के छह जोन के लिए केवल एक वाहन है, जिससे एक समय में केवल एक जगह पर ही छापेमारी हो सकती है। जिले में चार फूड सेफ्टी ऑफिसर हैं, जिनमें से एक बाहर से तैनात है। उन्होंने दो और अधिकारियों की आवश्यकता बताई। 14 दिन में आती है रिपोर्ट
अधिकारी ने बताया कि सितंबर से जुलाई तक एडीसी कोर्ट में 69 केस दर्ज किए गए और 15 चालान जारी किए गए। सैंपल लेने के बाद इसे खरड़ स्थित फूड सेफ्टी लैब भेजा जाता है, जहां से सामान्यतः 14 दिन में रिपोर्ट मिलती है। विशेष मामलों में 24 घंटे में रिपोर्ट दी जाती है।

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