क्या आपने भी डाउनलोड किया ये फर्जी बैंकिंग ऐप? जानें कैसे ठग लगाते हैं चूना और क्या है बचने के उपाय

by Carbonmedia
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Fake Banking App: भारत में डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते इस्तेमाल के साथ नकली बैंकिंग ऐप्स का खतरा भी तेजी से बढ़ा है. हाल ही में केरल के एक व्यक्ति के साथ ऐसी ही एक घटना हुई जिसमें उन्होंने मोबाइल पर आए एक मैसेज के अनुसार बैंकिंग ऐप अपडेट किया और देखते ही देखते उनके प्रोविडेंट फंड खाते से 4 लाख रुपये गायब हो गए. यह मैसेज बिल्कुल असली लग रहा था और व्यक्ति को भरोसा हो गया कि यह उनके बैंक की ओर से है. ऐप डाउनलोड करते ही जैसे ही उन्होंने लॉगिन डिटेल्स डालीं, दो ट्रांजैक्शन के जरिए पूरा पैसा साफ हो गया.
कैसे काम करते हैं ये फर्जी ऐप्स?
साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह ऐप पूरी तरह से नकली था और इसमें एक स्क्रीन शेयरिंग टूल पहले से ही छिपा हुआ था. इस टूल की मदद से स्कैमर्स यूज़र की हर गतिविधि को लाइव देख सकते हैं जैसे ही पीड़ित ने डिटेल्स डाली, फ्रॉडस्टर ने अकाउंट का पूरा एक्सेस पा लिया. ऐसे ऐप्स शुरुआत में बिल्कुल असली ऐप जैसे दिखते हैं लोगो, नाम और इंटरफेस तक असली ऐप्स से मिलते-जुलते होते हैं. ये ऐप्स कभी-कभी गूगल प्ले स्टोर या थर्ड पार्टी वेबसाइट्स पर भी अपलोड कर दिए जाते हैं.
कैसे होती है ठगी?
स्कैमर्स SMS, ईमेल या सोशल मीडिया के ज़रिए यूज़र को नकली लिंक भेजते हैं. ये लिंक यूज़र को असली बैंक वेबसाइट जैसी दिखने वाली साइट पर ले जाते हैं जहां यूज़र अपनी जानकारी दर्ज करता है. कई बार APK फाइल के ज़रिए भी ऐसे ऐप्स भेजे जाते हैं जिन्हें यूज़र प्ले स्टोर के बाहर से डाउनलोड करता है. एक बार इंस्टॉल होने के बाद ये ऐप्स SMS पढ़ सकते हैं, OTP चुरा सकते हैं और लॉगिन डिटेल्स कैप्चर कर लेते हैं. स्क्रीन शेयरिंग टूल के ज़रिए ये दूर से पूरे फोन का कंट्रोल भी ले सकते हैं.
नकली बैंकिंग ऐप से कैसे बचें?

हमेशा बैंकिंग ऐप अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या प्ले स्टोर/ऐप स्टोर से ही डाउनलोड करें.
ऐप की डिटेल्स, डेवलपर का नाम, यूज़र रिव्यू और डाउनलोड संख्या ध्यान से जांचें.
अगर कोई ऐप आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट, फोटोज़ या स्क्रीन एक्सेस की अनुमति मांग रहा है तो सतर्क हो जाएं.
टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) जरूर एक्टिवेट करें.
अनजान नंबर या लिंक से आए मैसेज पर क्लिक न करें, खासकर जो किसी इनाम या इमरजेंसी अपडेट का दावा करें.
ऐप या वेबसाइट में अगर स्पेलिंग मिस्टेक या संदिग्ध डेवलपर का नाम दिखे तो उसे नजरअंदाज करें.
सोशल मीडिया या विज्ञापनों से मिली APK फाइल्स कभी इंस्टॉल न करें.

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