लुधियाना पुलिस ने गिरफ्तार किया ठग:दुकानों से करता था खरीददारी,डिजिटल स्कैनर का दिखाता था फेक स्क्रीनशॉट

by Carbonmedia
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पंजाब के लुधियाना में डिवीजन नंबर 3 पुलिस ने रविवार को एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसने ऑनलाइन लेन-देन का नाटक करके एक कपड़ा दुकानदार से 8,700 रुपये ठग लिए। बाद में आरोपी की पहचान खरड़ निवासी लोकेश कपूर के रूप में हुई, जबकि उसका साथी अभी भी फरार है। पुलिस ने अभी आरोपी की तस्वीर जारी नहीं की। 30 जुलाई को दो लोगों ने कपड़ा दुकानदार से की ठगी CMC चौक के पास एक कपड़ा दुकान के मालिक, शिकायतकर्ता तलविंदर सिंह बंटी ने पुलिस को बताया कि 30 जुलाई को दो लोग नियमित ग्राहक बनकर उनकी दुकान पर आए। उन्होंने 8,700 रुपए का सामान लिया और भुगतान के समय डिजिटल लेनदेन करने के लिए स्कैनर मांगा। उनमें से एक ने सफल भुगतान का स्क्रीनशॉट दिखाया और तुरंत दुकान से चला गया। सीसीटीवी खंगाल दबोचा आरोपी कुछ मिनट बाद, जब बंटी ने अपना खाता चेक किया, तो उसे पता चला कि कोई पैसा जमा नहीं हुआ है। उसने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और सीसीटीवी फुटेज और रसीदों से जो भी जानकारी मिली, उसके आधार पर आरोपी की तलाश शुरू कर दी। जांच अधिकारी, ASI सुलखन सिंह ने बताया कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए लोकेश कपूर का पता लगा लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान, आरोपी ने लुधियाना में इसी तरह की धोखाधड़ी करने की बात कबूल की। उसने यह भी कबूल किया कि वह और उसका साथी दोनों नशे के आदी हैं और अपनी लत पूरी करने के लिए नियमित रूप से लुधियाना आते-जाते रहते हैं। धोखाधड़ी वाले मोबाइल ऐप का ठग ने किया इस्तेमाल जांच में पता चला कि कपूर एक धोखाधड़ी वाले मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहा था जो दुकानदारों को धोखा देता था। ASI सुलखन सिंह ने बताया कि ऐप को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह एक नकली पुष्टिकरण स्क्रीन बनाता है, जिससे ऐसा लगता है कि असली लेनदेन हुआ है। वास्तव में, पैसा या तो किसी और के खाते में ट्रांसफर हो जाता है या फिर ट्रांसफर ही नहीं होता। पुलिस अब उन अन्य दुकानदारों पर नज़र रख रही है जिनके साथ इसी तरह ठगी हुई होगी और कपूर के साथी की पहचान और गिरफ्तारी के लिए भी काम कर रही है। आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4) (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 338 (मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, आदि की जालसाजी), 336 (3) (जालसाजी), 340 (2) (जाली दस्तावेजों या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों का कपटपूर्ण या बेईमानी से उपयोग), 61(2) (आपराधिक षड्यंत्र) और 317(2) (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना या रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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