यमुनानगर में सिजेरियन लापरवाही मामला:गर्भ में छोड़ी पट्‌टी, दो माह बाद भी कार्रवाई के इंतजार में पीड़ित पक्ष, धरने की चेतावनी

by Carbonmedia
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यमुनानगर में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान महिला के गर्भ में सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ने के मामले में दो महीने बीत जाने के बावजूद प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जांच कमेटी अब तक केवल दस्तावेज और बयान इकट्ठा कर रही है। पीड़ित पक्ष ने लघु सचिवालय के कई चक्कर काटे, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। शिकायतकर्ता ओसामा ने आरोप लगाया कि एक आरोपी, जो सिविल अस्पताल में डिप्टी सीएमओ है, जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। डॉक्टर की लापरवाही से पत्नी का जान खतरे में आई मामले में पीड़ित पक्ष आज फिर से लघु सचिवालय पहुंचेगा। गांव बीबीपुर वासी ओसामा ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो वह धरना प्रदर्शन करेंगे। ओसामा ने बताया कि इस मामले में पंचकुला के ओजस अस्पताल से भी टीम द्वारा सारे सबूत जांच कमेटी को सौंप दिए गए हैं, लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है। वे अब तक सात से आठ बार लघु सचिवालय आकर अधिकारियों से बातचीत कर चुके हैं। हर बार उन्हें ‘जांच चल रही’ की बात कहकर टाल दिया जाता है। ओसामा ने कहा कि लापरवाह डॉक्टरों के कारण उसकी पत्नी की जान खतरे में आ गई थी। इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद उक्त अस्पताल में धड़ल्ले से ऑपरेशन जारी हैं। वे जांच कमेटी के समक्ष सभी सबूत पेश कर चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक प्रशासन ने कुछ भी नहीं किया है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं होती तो वे हेल्थ मिनिस्टर के पास जाएंगे। यह था मामला यमुनानगर में एक निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर की लापरवाही से मेहर खातून नामक मरीज के गर्भ में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ दी गई। ऑपरेशन 13 मार्च 2025 को हुआ, जिसके बाद मेहर को 15 मार्च को छुट्टी मिली। कुछ दिनों बाद दर्द होने पर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन कराए। आरोप है कि यमुनानगर के डायग्नोस्टिक सेंटरों ने मिलीभगत कर नॉर्मल रिपोर्ट्स बनाई। ढाई माह तक दर्द झेलने के बाद 21 मई को पंचकुला के ओजस अस्पताल में पता चला कि गर्भ में पट्टी है। 24 मई को ऑपरेशन कर आंत काटकर पट्टी निकाली गई। दो जून को परिजनों ने आरोपी महिला डॉक्टर, उसके पति (डिप्टी सिविल सर्जन), दो डायग्नोस्टिक सेंटर संचालकों और मॉडल टाउन के एक अन्य प्राइवेट डॉक्टर के खिलाफ जांच कमेटी गठित कर लाइसेंस रद्द करने की मांग की। पीड़ित पक्ष की शिकायत पर डीसी पार्थ गुप्ता ने चार मेंबर की टीम बनाकर जांच कमेटी गठित की जोकि पूरे मामले की जांच कर रही है। इस कमेटी का चेयरमैन एसडीएम सोनू राम को बनाया गया। शिकायत सौंपे हुए दो माह से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।

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